अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मालगाड़ी के जरिए नेचुरल गैस की आवाजाही को अपनी हरी झंड़ी दे दी है. ट्रंप के इस फैसले से तेल और गैस क्षेत्र को काफी फायदा होगा, लेकिन साथ ही विशेषज्ञों ने ट्रेन के पटरी से उतरने की स्थिति में किसी प्रलयकारी हादसे की आशंका जताई है. यही वजह है कि ट्रंप के इस फैसले का अमेरिका में विरोध बढ़ रहा है.

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ट्रंप ने बुधवार को ट्रांसपोर्ट विभाग को एक नया नियम तैयार करने का आदेश दिया जो मालगाड़ी के जरिए विशेष टैंक डिब्बों में सुपर-चिल्ड नेचुरल गैस के परिवहन की इजाजत देगा. इसके लिए रेलरोड़ और नेचुरल गैस से जुड़े कारोबारी लंबे समय से लॉबिंग कर रहे थे. उनका कहना था कि अमेरिका के उत्तर-पूर्वी हिस्से में उपभोक्ताओं को सेवा देने के लिए इसकी जरूरत है. वहां पर्याप्त पाइपलाइन नहीं हैं और वहां शिप और ट्रेन से गैस पहुंचाना संभव है.

न्यूज वेबसाइट फार्च्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेंटर फॉर लिक्विफाइड नेचुरल गैस ट्रेड ग्रुप के प्रमुख चार्ली रेडल ने कहा, 'कई ऐसे नए अवसर हैं, जहां आप रेल का इस्तेमाल अधिक कार्यकुशलता के साथ कर सकते हैं.'

हालांकि ट्रंप के इस फैसले के आलोचकों ने ऐसी ट्रेन को 'आत्मघाती ट्रेन' बताया है. फार्च्यून की रिपोर्ट में सेंटर फॉर बायोलॉजिकल डायवर्सिटी की स्टाफ एटॉर्नी एमिली जेफ़र्स ने कहा, 'हम एक भीषण आपदा के होने का इंतजार कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि अमेरिका के शहरों में ईंधन से लदी रेलगाड़ी 'बम ट्रेन' की तरह है. उन्होंने कहा, 'आप अत्यधिक आबादी वाले क्षेत्रों में असाधारण रूप से ज्वलनशील और खतरनाक पदार्थ का परिवहन कर रहे हैं, जिसमें मूल रूप से कोई पर्यावरण संरक्षण नहीं है.'

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एलएनजी जैसी नेचुरल गैस में लिक्युफाइड स्टेट में खुद आग नहीं लगती. हालांकि इसमें ये जोखिम है कि दुर्घटना में मालगाड़ी के डिब्बे फट गए और गैस हवा में मिल गई तो एनएलजी तेजी से एक ज्वलनशील गैस में बदल जाती है.