आर्थिक विकास के लिए संचार व्यवस्था पहली शर्त है. देश की संचार व्यवस्था जितनी अच्छी होगी, देश की आर्थिक स्थिति उतनी ही मजबूत होगी. ये बात बांग्लादेश के ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्री मो. ताजुल इस्लाम ने कही. मंत्री मो. ताजुल इस्लाम ने आगे कहा कि यदि बांग्लादेश और भारत सभी क्षेत्रों में मिलकर काम करते हैं तो इससे दोनों देशों को फायदा होगा.

भारत का योगदान अतुलनीय 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्री मो. ताजुल इस्लाम ने कहा कि यदि दोनों देश केवल मंत्रालय ही नहीं बल्कि देश के लाभ के लिए सभी क्षेत्रों में एक साथ काम करें तो इससे बांग्लादेश और भारत दोनों को ही लाभ होगा. उन्होंने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भारत के योगदान, चटगांव और राजशाही नगर निगम क्षेत्रों के विद्युतीकरण के लिए भारतीय लाइन ऑफ क्रेडिट द्वारा वित्त पोषण की भी सराहना की.

सिर्फ भारत ही कर सकता ये काम

मंत्री मो. ताजुल इस्लाम ने कहा कि हमें यह याद रखना होगा कि रिश्तेदारों, दोस्तों को बदलना या उनसे दूर जाना संभव है, लेकिन पड़ोस को बदलना असंभव है. यूरोपीय देशों ने बातचीत की सहमति के आधार पर यूरोपीय संघ की स्थापना की. इसके माध्यम से व्यापार, संचार व्यवस्था, ज्ञान के आदान-प्रदान, शिक्षा के आदान-प्रदान सहित सभी क्षेत्रों में मिलकर काम करने का अवसर मिला है. नतीजतन, यूरोपीय संघ की स्थापना के बाद यूरोपीय देशों की आर्थिक व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. यूरोपीय संघ की तरह सिर्फ भारत ही वैसा कार्य कर सकता है. इस दौरान उन्होंने अपने बातों को दोहराते हुए वापस कहा कि हम न केवल स्थानीय सरकार के मंत्रालयों में बल्कि सभी क्षेत्रों में भारत के साथ काम कर सकते हैं. इससे बांग्लादेश और भारत दोनों को फायदा होगा.

भारत को बताया जिम्मेदार पड़ोसी

मो. ताजुल इस्लाम ने कहा कि इस देश के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य की स्थापना की गई है. भारत के साथ एक जिम्मेदार पड़ोसी के रूप में संबंध बनाए रखने के लिए हम बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की विदेश नीति पर आधारित संबंधों को संरक्षित करने के सिद्धांत के अनुसार काम कर रहे हैं.

1971 में भारत ने कायम की अनूठी मिसाल

देश के निर्माण में भारतीय सेना के योगदान को याद करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के आह्वान के जवाब में पूरे बंगाली समुदाय ने स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया. फिर पाकिस्तानियों ने हमारे निहत्थे बंगालियों पर अत्याधुनिक हथियारों से हमला बोल दिया और आम लोगों को मारना शुरू कर दिया, माताओं-बहनों के साथ बुरा बर्ताव किया, तब एक करोड़ बंगालियों को सुरक्षा के लिए भारत में शरण लेने के लिए विवश होना पड़ा. भारत ने 1971 में एक करोड़ बंगालियों को आश्रय देकर दुनिया में एक अनूठी मिसाल कायम की.

बांग्लादेश भारत का हमेशा कर्जदार रहेगा

बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भारत के योगदान पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल स्वतंत्रता सेनानियों को आश्रय दिया बल्कि प्रशिक्षित भी किया. यहां तक कि भारत ने पाक आक्रमणकारियों के खिलाफ सहयोगी सेना के रूप में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ते हुए सैकड़ों हजारों भारतीय सैनिक मारे गए और घायल हुए. इसलिए हमने अपने खून से जो आजादी हासिल की है उसके लिए हम भारत के खून के कर्जदार हैं. इसे बंगाली राष्ट्र (बांग्लादेश) हमेशा याद रखेगा.

रिपोर्ट- PBNS