SAMSUNG फैक्ट्री के सैकड़ों वर्कर्स हुए कैंसर का शिकार, कंपनी ने मांगी माफी
सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की सेमीकंडक्टर फैक्टरी में काम करने वाले कुछ फैक्ट्री वर्करों को कैंसर हो गया है.
सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स (Samsung Electronics) की सेमीकंडक्टर फैक्टरी में काम करने वाले कुछ फैक्ट्री वर्करों को कैंसर हो गया है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के सियोल में स्थित इस फैक्ट्री के इन कर्मचारियों की संख्या 320 के करीब है, जो काम के दौरान बीमार पड़ गए. इनमें से 118 मरने के कगार पर हैं. कई लोगों में कैंसर निकला है. कंपनी ने फैक्ट्री वर्करों को 1.33 डॉलर मुआवजा देने का ऐलान किया है.
वर्करों को ये रोग हुए
कर्मचारियों में 16 तरह के कैंसर निकले हैं. कुछ अन्य प्रकार की भी बीमारियां पता चली हैं. वर्करों के बीमार पड़ने का पता 2007 में लगा था. कर्मचारियों के परिवारों ने आरोप लगाया था कि उनके पति या अन्य सदस्य की या तो कैंसर से मौत हो चुकी है या फिर उन्हें कैंसर ग्रस्त पाया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक 10 साल की कानूनी लड़ाई के बाद कंपनी अब मुआवजा देने को राजी हुई है. साथ ही उसने इसके लिए माफी भी मांगी है.
भारत में कैसे मिलता है दुर्घटना पर मुआवजा
देश के वर्कर कम्पनसेशन एक्ट, 1923 में वर्कर इन परिस्थितियों में मुआवजा पाने का अधिकार है:
1- ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में चोटिल होने पर
2- फैक्ट्री आते-जाते समय दुर्घटना होने पर
3- इम्प्लॉयर के काम से बाहर जाने पर दुर्घटना पर
4- फैक्ट्री में काम की प्रकृति से कर्मचारी बीमार पड़ जाए
5- पर बीमारी काम छोड़ने के दो साल बाद हो तो कर्मचारी मुआवजे का अधिकारी नहीं
6- अगर दुर्घटना या बीमारी से कर्मचारी की मौत हो तो उसके आश्रित संबंधी को मुआवजा मिलेगा
कहां-कहां मिलता है मुआवजा
भारत में फैक्ट्री, फूडिंग, रेलवे, पोस्ट, कंस्ट्रक्शन, इमारतों के मेंटेनेंस में लगे वर्कर मुआवजा पाने के अधिकारी हैं. किसी इमारत में इस्तेमाल, परिवहन और बिक्री के लिए सामान रखना, जहां 20 से ज्यादा कर्मचारी हों. ट्रैक्टर या अन्य मशीनों से खेती-बाड़ी, इसमें मुर्गी फार्म, डेयरी फार्म आदि शामिल हैं. बिजली विभाग में जोखिम भरे काम करने वाले वर्कर दुर्घटना पर मुआवजा पाने के अधिकारी होते हैं.
इन दुर्घटनाओं पर मुआवजा
अगर कर्मचारी को काम के दौरान चोट लगे और मौत हो जाए, बॉडी को कोई पार्ट डैमेज या कट जाए या आंखों की रोशनी चली जाए, जैसी अनहोनी मुआवजे के दायरे में आती है. अगर चोट से लकवा मार जाए और वर्कर आगे काम करने की स्थिति में न रह जाए तो भी मुआवजा बनता है. साथ ही ऐसी चोट जिससे कर्मचारी कम से कम 3 दिन काम करने के लायक ना रहे.
इस पर मुआवजा नहीं
शराब पीकर काम करने के दौरान दुर्घटना या नशीली चीजों के सेवन से दुर्घटना. सुरक्षा नियम या निर्देश का उल्लंघन करने से दुर्घटना और सुरक्षा के लिए उपलब्ध उपकरणों का जानबूझकर इस्तेमाल नहीं करने से हुई दुर्घटना पर मुआवजा नहीं बनता.
भारत में फैक्ट्री वर्करों के अन्य अधिकार
भारत के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम,1948 (Minimal wages Act) के अनुसार अगर इम्प्लॉयर न्यूनतम मजदूरी से कम पेमेंट करता है तो लेबर इंस्पेक्टर के पास शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. अगर कर्मचारी न्यूनतम मजदूरी से कम रकम पर काम करने को तैयार है, तो भी इम्प्लॉयर का कर्तव्य है कि वह उसे न्यूनतम मजदूरी अदा करे.