Facebook के सीईओ मार्क जुकरबर्ग पर इस्तीफे का दबाव बढ़ा, जानें किस आरोप में मचा है बवाल
जांच में खुलासा हुआ था कि फेसबुक ने रिपब्लिकन के स्वामित्व वाली राजनीतिक कंसल्टेंसी और पीआर कंपनी से अनुबंध किया है जो अपने विरोधियों की बुराइयां उजागर करती हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक जांच के बाद फेसबुक के निवेशकों ने कंपनी के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग पर इस्तीफे का दवाब बढ़ा दिया है. जांच में खुलासा हुआ था कि फेसबुक ने रिपब्लिकन के स्वामित्व वाली राजनीतिक कंसल्टेंसी और पीआर कंपनी से अनुबंध किया है जो अपने विरोधियों की बुराइयां उजागर करती हैं. द गार्जियन में शनिवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक में पर्याप्त हिस्सेदारी वाली ट्रिलियम एसेट मैनेजमेंट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जोनस क्रोन ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए जुकरबर्ग से बोर्ड के चेयरमैन पद से उतरने के लिए कहा है.
फेसबुक महज एक कंपनी, विशेष हिमखंड नहीं
एक रिपोर्ट के अनुसार, क्रोन ने कहा, "फेसबुक को लगता है कि वह विशेष हिमखंड है, मगर वह वैसा नहीं है. वह एक कंपनी है और कंपनियों में अध्यक्ष और सीईओ में अंतर होना चाहिए."
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक ने वाशिंगटन डीसी की रूढ़िवादी कंपनी डेफिनर्स पब्लिक अफेयर्स से करार किया, जिसने कंपनी के लिए जनसंचार का काम किया और उसके प्रतिद्वंद्वियों और आलोचकों की कमियां निकालने का काम भी करती है.
जुकरबर्ग ने नकारा
जुकरबर्ग ने एक संवाददाता सम्मेलन में नकार दिया कि उन्हें पहले ऐसी किसी कंपनी की जानकारी है. उन्होंने कहा, "लेख पढ़ने के बाद मैंने अपनी टीम से फोन पर बात की और हम अब इस कंपनी के साथ काम नहीं कर रहे हैं."
एक रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक की एक अन्य निवेशक नताशा लैंब ने कहा कि अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी की संयुक्त भूमिका का मतलब है कि फेसबुक आंतरिक समस्याओं को नजरंदाज कर सकती है. फेसबुक के मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) शेरिल सैंडबर्ग ने भी ऐसी किसी कंपनी की जानकारी होने से इनकार कर दिया.
(इनपुट एजेंसी से)