पाकिस्तान में नया बिक्री कर लगाये जाने के विरोध में सैकड़ों कारोबारी शनिवार को हड़ताल पर रहे. विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कर इस्लामाबाद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के हाल के छह अरब डॉलर के राहत पैकेज के एक हिस्से के तौर पर लगाया गया है. इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शॉपिंग मॉल और थोक बाजार, छोटी दुकानें और इलेक्ट्रॉनिक कारोबारियों ने भाग लिया. हालांकि, देश के वाणिज्यिक केन्द्र कराची में खुदरा व्यापारियों के बीच अलग-अलग राय के कारण हड़ताल का कम प्रभाव पड़ा. विपक्ष के सांसद मुशाहिद उल्लाह खान ने कहा कि सरकार की खराब वित्तीय नीतियों के कारण कीमतों में वृद्धि हुई है. 

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आईएमएफ ने तीन जुलाई को यह कहते हुए राहत पैकेज को मंजूरी दी थी कि इससे सार्वजनिक कर्ज को कम करने और सामाजिक खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी. पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और लोगों की जीवन दशा को सुधारने के मकसद से यह कर्ज मंजूर किया गया है. इमरान खान की सरकार के पद संभालने के बाद बेलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने अगस्त 2018 में आईएमएफ से संपर्क किया था. लंबी चर्चा के बाद आईएमएफ ने कर्ज को मंजूरी दी लेकिन साथ ही पाकिस्तान पर कई शर्तें भी लगाई हैं. इसके तहत पाकिस्तान को खर्च में कटौती और सब्सिडी खत्म करनी होगी. साथ ही नए टैक्स लगाने होंगे.

पाकिस्तान पहले ही भीषण महंगाई का सामना कर रहा है. ऐसे में सब्सिडी खत्म होने और नए टैक्स से वहां जनता बेहद नाराज है. पाकिस्तान हर कुछ साल पर आर्थिक संकट में फंसता रहता है, लेकिन विदेश से मिलने वाली सहायता के भरोसे उसका वजूद बचा हुआ है. विशेषज्ञों के मुताबिक 'पाकिस्तान का संकट सिर्फ वित्तीय नहीं बल्कि सिस्टेमिक और स्ट्रक्चरल संकट है यानी इससे उसके अस्थिर होने का खतरा पैदा हो गया है. ऐसे में राहत पैकेज भले ही उसे अभी संकट से उबार लें, लेकिन इससे आने वाले संकट की जमीन तैयार होगी, जिसे संभालना और मुश्किल होगा.'