अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 6 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मिलने के बाद भी पाकिस्तान की आर्थिक हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही है. पाकिस्तान में आर्थिक गतिविधियां इस हद तक सुस्त पड़ती जा रही हैं कि खुद आईएमएफ ने उसे चेतावनी दी है कि उसका भारी भरकम पैकेज भी पाकिस्तान को नहीं बचा जाएगा. आईएमएफ ने कहा है कि अगर पाकिस्तान ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो वहां की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो जाएगा. ऐसे में आम लोगों पर महंगाई का बोझ कई गुना बढ़ जाएगा. 

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पिछले सप्ताह आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान को तीन साल के लिए छह अरब डॉलर के के कर्ज की मंजूरी दी थी. पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और लोगों की जीवन दशा को सुधारने के मकसद से यह कर्ज मंजूर किया गया है. इमरान खान की सरकार के पद संभालने के बाद बेलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने अगस्त 2018 में आईएमएफ से संपर्क किया था. 

पाकिस्तान हर कुछ साल पर आर्थिक संकट में फंसता रहता है, लेकिन विदेश से मिलने वाली सहायता के भरोसे उसका वजूद बचा हुआ है. विशेषज्ञों के मुताबिक 'पाकिस्तान का संकट सिर्फ वित्तीय नहीं बल्कि सिस्टेमिक और स्ट्रक्चरल संकट है यानी इससे उसके अस्थिर होने का खतरा पैदा हो गया है. ऐसे में राहत पैकेज भले ही उसे अभी संकट से उबार लें, लेकिन इससे आने वाले संकट की जमीन तैयार होगी, जिसे संभालना और मुश्किल होगा.'

पाकिस्तान का रुपया भारी गिरावट का गवाह है. यही वजह है कि पाकिस्तान में भारी महंगाई देखने को मिल रही है. वहां  प्याज के दाम 77.52 प्रतिशत, तरबूज 55.73 फीसदी, टमाटर 46.11 फीसदी, नींबू 43.46 फीसदी और चीनी 26.53 फीसदी मंहगी हो गई. पाकिस्तान में दूध के दाम 180 रुपये प्रति लीटर है. सेब 400 रुपये किलो, संतरे 360 रुपये और केले 150 रुपये दर्जन बिक रहे हैं. पाकिस्तान में मटन 1100 रुपये किलो तक पहुंच गया है.