पाकिस्तान को बड़ा झटका! FATF ने किया ब्लैकलिस्ट, और बढ़ेगा कर्ज, डूब जाएगी इकोनॉमी
अवैध फंडिंग करने के मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. FATF के एशिया प्रशांत क्षेत्र ग्रुप (एपीजी) ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट सूची में डाला है.
कंगाली में आटा गीला.... कहावत तो आपने सुनी होगी. पाकिस्तान के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं. कंगाली और महंगाई से जूझ रहे पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है. अवैध फंडिंग करने के मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. FATF के एशिया प्रशांत क्षेत्र ग्रुप (एपीजी) ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट सूची में डाला है. बता दें, पाकिस्तान टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकाम साबित हुआ. उसे 40 स्टैंडर्ड में से 32 स्टैंडर्ड में फेल साबित किया गया है. इसके बाद ही यह एक्शन लिया गया.
चरमरा जाएगी अर्थव्यवस्था
FATF के ब्लैकलिस्ट करने के बाद पाकिस्तान की कंगाली और बढ़ेगी. क्योंकि, इसका सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर कर्ज लेना मुश्किल होगा. साथ ही IMF से मिलने वाले बेलआउट पैकेज पर भी रोक लग जाएगी. पाकिस्तान की इकोनॉमी पूरी तरह से डूबने का खतरा है. क्योंकि, पाकिस्तान पर पहले ही भारी कर्ज है. उसके खजाने में सिर्फ दो महीने का विदेशी पूंजी भंडार बचा है. ब्लैकलिस्ट होने से IMF से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के पैकेज पर भी रोक लग सकती है.
APG की बैठक में फैसला
पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ने के अपने कमिटमेंट में विफल साबित हुआ. ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में हो रही एपीजी की बैठक के आखिरी दिन एफएटीएफ जी-7 देशों का बनाया गया एक इंटरगवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन है. इसकी शुरुआत 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ने के लिए की गई थी. 2001 में इसने आतंकी फंडिंग से भी लड़ने को लेकर काम शुरू किया था. APG का हेडक्वार्टर पेरिस में है. FATF ने पाकिस्तान को पिछले साल ही ग्रे लिस्ट में डाला था.
सिर्फ 10 हफ्ते तक का भंडार
पाकिस्तान के पास जितनी विदेशी मुद्रा है, वो ज्यादा से ज्यादा 10 हफ्तों तक के इंपोर्ट के बराबर है. विदेशों में नौकरी कर रहे पाकिस्तानी देश में जो पैसे भेजते थे, उसमें भी गिरावट आई है. इसके साथ ही पाकिस्तान का इंपोर्ट बढ़ा है. चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर में लगी कंपनियों को भारी भुगतान के कारण भी विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो रहा है.
वर्ल्ड बैंक ने जारी की थी चेतावनी
विश्व बैंक ने अक्टूबर 2017 में पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि उसे कर्ज भुगतान और चूला खाता घाटे को पाटने के लिए इस साल 17 अरब डॉलर की जरूरत पड़ेगी. हालांकि, पाकिस्तान ने इस पर तर्क दिया था कि विदेशों में बसे अमीर पाकिस्तानियों को अगर अच्छे लाभ का लालच दिया जाए तो वो अपने देश की मदद कर सकते हैं.
कर्ज का बोझ 28 हजार अरब रुपये
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने सत्ता संभालने के बाद कर्ज लेने की जगह कर सुधारों पर काम करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था, पाकिस्तान के इतिहास में हमने इस तरह की मुश्किल परिस्थितियों का सामना कभी नहीं किया. हमारा कर्ज का बोझ 28 हजार अरब रुपए है.
बढ़ रहा है व्यापार घाटा
पाकिस्तान का व्यापार घाटा भी लगातार बढ़ा रहा है. क्योंकि, पिछले कुछ समय से एक्सपोर्ट के मामले में पाकिस्तान को झटका लगा है. वहीं, उसे आयात ज्यादा करना पड़ रहा है. पिछले साल पाकिस्तान का व्यापार घाटा 33 अरब डॉलर का रहा था. यह घाटा पाकिस्तान के लिए अप्रत्याशित था. व्यापार घाटा बढ़ने का मतलब यह है कि पाकिस्तानी उत्पादों की मांग दुनिया में लगातार गिर रही है.
6 साल की ऊंचाई पर महंगाई
पाकिस्तान में महंगाई 6 साल के उच्चतम स्तर पर है. महंगाई दर 10.34% पहुंच गई, जो नवंबर 2013 के बाद से सबसे अधिक है. महंगाई को काबू में करने के लिए पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर को पहले ही 10.75% कर दिया था. लेकिन, भारत के साथ ट्रेड बंद होने से महंगाई और बढ़ी है. वहीं, बढ़ती महंगाई और कम खपत की वजह से कुछ कंपनियों ने अपना कारोबार पाकिस्तान से समेटना शुरू कर दिया है.
लगातार कमजोर होता रुपया
पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पाकिस्तानी रुपया का कमजोर होना है. डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 160.87 पर पहुंच गया है. 1 साल पहले 16 अगस्त को पाकिस्तानी रुपये की डॉलर के सामने वैल्यू 123 रुपया थी. वहीं, पांच साल पहले ही बात करें तो 2014 में पाकिस्तानी करेंसी की वैल्यू 99 रुपया थी. 2006 की तुलना में देखें तो पाकिस्तानी रुपया करीब 250 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है. 2006 में पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू 59 रुपए थी.