नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan) ने जी-20 देशों (G-20 countries) के समूह से कर्ज के लिये आवेदन किया है. उसने वादा किया है कि आईएमएफ और विश्व बैंक के नियमों के तहत मिलने वाले कर्ज के अलावा वह किसी अन्य रियायती कर्ज के लिए कोई मांग नहीं करेगा. 

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पाकिस्तान के आर्थिक मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘दि एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ को इस संबंध में जानकारी देते हुये कहा कि इस बारे में जी-20 सदस्य देशों को अलग अलग आग्रह भेज दिया गया है. यह आग्रह इन देशों को जी-20 की कोविड-19 कर्ज भुगतान निलंबन सुविधा के तहत किया गया है.

समूह- 20 के सदस्यों ने 15 अप्रैल को बैठक में पाकिस्तान सहित 76 देशों को कोरोना वायरस महामारी के कारण पैदा हुए संकट को देखते हुए अपने कर्ज की किस्तें फिलहाल जमा न करने की छूट देने का फैसला किया था. यह रोक मई से लेकर दिसंबर 2020 तक की किस्तों के लिए है. 

जी-20 ने कहा कि कोरोना वायरा महामारी के प्रभाव को देखते हुए इन देशों में संसाधानों की तंगी हो सकती है. हालांकि, इसमें यह शर्त रखी गई कि प्रत्येक देश को इसके लिये आग्रह करना होगा.

इस मामले में एक और शर्त यह भी रखी गई कि देश कर्ज भुगतान में देरी की अवधि के दौरान किसी नए रियायती कर्ज के लिये करार नहीं करेगा. 

पाकिस्तान सरकार ने अपने पत्र में कर्ज राहत की राशि तो नहीं लिखी है लेकिन यह माना जा रहा है कि उसे मई- दिसंबर 2020 के दौरान कुल 1.8 अरब डॉलर की राहत मिल सकती है. पाकिस्तान ने इस बारे में आईएमएफ, विश्व बैंक और पेरिस क्लब को भी बता दिया है.

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पाकिस्तान के ऊपर समूह- 20 के 11 सदस्य देशों का 20.7 अरब डॉलर का कर्ज है. इसमें से दिसंबर 2020 तक 1.8 अरब डॉलर का कर्ज उसे चुकाना है.