पाकिस्तान झुका! भारत से फिर से रिश्ते सुधारने को तैयार, ऐसे धोएगा अपने 'पाप'
कश्मीर पर बौखलाहट के बाद PM इमरान खान को अहसास हो रहा है कि बौखलाहट में भारत से कारोबार बंद करने समेत लिए गए तमाम फैसलों से उसको ही मुंह की खानी पड़ेगी. इस गलती को ठीक करने के लिए पाकिस्तान अब डैमेज कंट्रोल पर जुट गया है.
जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद से ही पाकिस्तान मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले को पचा नहीं पा रहा है. पाकिस्तानी PM इमरान खान अमेरिका, चीन और इस्लामिक देशों के दरवाजे पर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी एक न सुनी गई. अब इमरान खान को भी अहसास हो रहा है कि बौखलाहट में भारत से कारोबार बंद करने समेत लिए गए तमाम फैसलों से उसको ही मुंह की खानी पड़ेगी. इस गलती को ठीक करने के लिए पाकिस्तान अब डैमेज कंट्रोल पर जुट गया है.
खबर है कि पाकिस्तान गुरु नानक की 550वीं जयंती पर करतारपुर स्थित दरबार साहिब आने वाले भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए अपना बॉर्डर खोल देगा. सूचना और प्रसारण मामले की प्रधानमंत्री की विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने बताया कि तनाव के बाद पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर पर काम रोक दिया है.
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस साल नवंबर में भारत के साथ टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) के अनुसार ही कॉरिडोर को अंतिम रूप देकर इसका उद्घाटन किया जाएगा. फिरदौस ने कहा कि सिखों के लिए ननकाना साहिब और पाकिस्तान के अन्य शहर वैसे ही पवित्र हैं, जैसे मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना है.
द उर्दू प्वॉइंट न्यूज पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री इमरान खान ने ही 72 साल के बाद सिखों द्वारा गुरु नानक की तीर्थ यात्रा करने के लिए करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से सीमा को खोलने का फैसला किया था. यहां आने वाले लोग इससे पहले सीमा पार से इस पवित्र स्थल को दूरबीन की मदद से देखते थे.
प्रस्तावित कॉरिडोर सिखों को वीजा के बिना ही सीमा से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित धर्मस्थल का दौरा करने की अनुमति देगा. पिछले महीने ही सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की 550 वीं जयंती समारोह पर ननकाना साहिब जाने के लिए पाकिस्तान द्वारा 500 से अधिक भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के विशेष जत्थे को वीजा दिया गया था.
पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित गुरुद्वारा, भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर और लाहौर से लगभग 120 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में है. गुरु नानक 1539 में 18 साल अपने अंतिम सांस लेने तक वहीं थे.