Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की इकोनॉमी लगातार मुसीबतों में घिरती जा रही है. पाकिस्तानी रुपये में बीते कुछ दिनों में भारी गिरावट देखने को मिली है. पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, जिसके कारण पाकिस्तानी रुपया तीन फीसदी तक गिर गया है. इसने देश के इकोनॉमिक सेक्टर पर भी गहरा प्रभाव डाला है. इन सभी हालातों से घिरा पाकिस्तान तेजी से मंदी की तरफ जा रहा है, जिससे निपटने के लिए उसने एक बार फिर से इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) से गुहार लगाई है.

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 298.93 तक गिरा पाकिस्तानी रुपया 

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बता दें कि, पाकिस्तान अपनी इकोनॉमी को बचाने के लिए लगातार IMF से मदद की गुहार लगा रहा है. यहां तक कि आर्थिक स्थिति भी जनता पर अपना प्रभाव डाल रही है, क्योंकि इंफ्लेशन, प्राइस हाइक, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, गैस और बिजली यूनिट की बढ़ रही कीमत लोगो को परेशान करके रख दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस्लामाबाद को इस साल जून में प्रोपर फाइनेंसियल बजट पेश करना है, तो उसे IMF की शर्तों का पालन करना होगा. दूसरी ओर, सरकारी अधिकारी भी यह अनुमान लगा रहे हैं कि पाकिस्तान अपने एक्सटर्नल पेमेंट में कोई चूक नहीं करेगा. 

पाकिस्तान को IMF का सहारा?

पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा कि हमने IMF के साथ फाइनेंसियल सहायता के लिए चर्चा की है. IMF ने पाकिस्तान के बारे में पहले ही कहा है कि उसे 6.5 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज की 9वीं समीक्षा को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सहयोग करने की जरूरत है. जिससे कि पाकिस्तान इस बढ़ती क्राइसिस से निकल सके. पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा, पाकिस्तान ने अपने लोन प्रोग्राम के पुनरुद्धार के लिए IMF की सभी शर्तों को पूरा किया है और उन शर्तों को पूरा करने के लिए कदम भी उठाए हैं. पाकिस्तान सरकार ने दिसंबर के लास्ट तक सभी बाहरी भुगतान को चुकाने का फैसला किया है. हालांकि पाकिस्तान सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन जैसे देशों से कर्ज लेने में सक्षम है.

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