क्या होती है Political Guarantee? जिसकी वजह से IMF के आगे टूट गया पाकिस्तान, अब नहीं मिलेंगे 1.2 अरब डॉलर?
Pakistan Economic Crisis: पड़ोसी देश पाकिस्तान कभी भी डिफॉल्टर घोषित हो सकता है। देश में महंगाई 27 फीसदी से अधिक हो गई है। अब पाकिस्तान की सारी उम्मीदें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाले लोन पर टिकी है। हालांकि, आईएमएफ ने पाक सरकार से 1.2 अरब डॉलर की किश्त जारी करने से पहले पॉलीटिकल गारंटी मांगी है। जानिए क्या है पॉलीटिकल गारंटी, जिसे देना पाक सरकार के लिए है नामुमकिन।
Political Guarantee: पाकिस्तान लगभग कंगाली के मुहाने पर खड़ा है. पाक सरकार के आंकड़ों के मुताबिक महंगाई दर लगभग 27.77 फीसदी तक पहुंच गई है. ये साल 1975 के बाद सबसे ज्यादा है. वहीं, डॉलर के मुकाबले भी पाकिस्तानी रुपया रोजाना धराशायी हो रहा है. डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की कीमत 270 तक पहुंच गई है. इस कंगाली से बचने के लिए पाकिस्तानी के पास अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF के कर्ज का ही आखिरी सहारा है. हालांकि, लोन के बदले आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने ऐसी शर्त रखी है, जिसके बाद बिजली और फ्यूल 60 फीसदी तक महंगा हो सकता है. यही नहीं, IMF ने पाकिस्तान से पॉलीटिकल गारंटी भी मांगी है, जिसे पूरा करना पड़ोसी देश के लिए लगभग नामुमकिन है. जानिए क्या होती है पॉलीटिकल गारंटी, जिसके बाद ही पाकिस्तान को मिलेगी 1.2 अरब डॉलर की किश्त.
वादे से पीछे नहीं हट सकता पाकिस्तान
पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक IMF ने पाक सरकार से कहा है कि वह 1.2 अरब डॉलर की किश्त तभी जारी करेगा, जब वह उसकी सभी शर्तों को मानने के साथ-साथ उसे पॉलीटिकल गारंटी भी देगी. पॉलीटिकल गारंटी का मतलब ये है कि कल पाकिस्तान में कोई दूसरी सरकार भी आती है तो वह भी आईएमएफ को किए गए वादे से पीछे नहीं हटेगी.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
गौरतलब है कि इस वक्त शहबाज शरीफ पीएम की गद्दी पर बैठे हैं. कल यदि इमरान खान की पार्टी पीटीआई सत्ता पर आती है तो उसे भी आईएमएफ को दी पॉलीटिकल गारंटी पूरी करनी होगी. ऐसे में सवाल उठता है कि यदि पीटीआई या कोई दूसरी सत्तारूढ़ पार्टी पॉलीटिकल गारंटी से पीछ हटती है तो इसके बाद आईएमएफ आगे क्या कदम उठाएगा? अब सबकी नजर नौ फरवरी को IMF और शहबाज सरकार के बीच होने वाली बातचीत पर है.
IMF की पाक सरकार के सामने शर्तें
- पाक सरकार को बिजली में दी जाने वाली सब्सिडी वापस लेनी होगी.
- गैस कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना होगा.
- विनिमय दरें बाजार पर आधारित होगी.
कभी भी डिफॉल्टर घोषित हो सकता है पाक?
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में महज 3.6 अरब डॉलर ही बचे हैं. इसमें भी ज्यादातर हिस्सा साऊदी अरब और UAE का है. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले पाक के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने अपने एक बयान में कहा था कि पाकिस्तान कभी भी डिफॉल्टर घोषित हो सकता है. पाकिस्तान का सबसे करीबी दोस्त चीन भी इस मुश्किल वक्त में उसका साथ छोड़कर चला गया है. पाक वित्त मंत्री इशहाक डार ने बीते साल नवंबर में दावा किया था कि चीन और साऊदी अरब 13 अरब डॉलर का नया कर्ज देंगे. अभी तक दोनों ही देश की तरफ से कोई बयान नहीं आया है. अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने नया कर्ज देना तो दूर 1.3 अरब डॉलर की किश्त भी मांग ली है. वहीं, साऊदी अरब की तरफ से भी पैसा देने का कोई भी वादा नहीं किया गया है.
खराब हो रहे हैं फल और सब्जियां
पाकिस्तान सरकार के लिए सबसे ज्यादा शर्मिंदगी की बात है कि कराची के पोर्ट में छह हजार कंटेनर्स खड़े हैं. इनमें फल और सब्जियों जैसी रोजमर्रा की जरूरत का सामान रखा हुआ है, जो लगभग खराब हो चुके हैं. बैंकों के पास फिलहाल डॉलर नहीं है. पेमेंट न मिलने के कारण कंटेनर में रखे हुए सामान को अनलोड भी नहीं किया जा रहा है. इससे आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई है. पोर्ट में नए कंटेनर्स खड़े करने की जगह नहीं बची है.