पेट्रोलियम निर्यातक देशों का समूह (OPEC) क्रूड उत्‍पादन का निर्यात घटाने पर कोई फैसला नहीं ले पाया है. इसकी बड़ी वजह भारत के मित्र देश सऊदी अरब का वह बयान है जिसमें कहा गया था कि ओपेक कच्‍चा तेल के निर्यात पर कटौती का फैसला लेने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राय लेगा. सऊदी अरब के तेल मंत्री खलील अल फलीह ने कहा कि ओपेक गिरती कीमतों को थामने के लिए निर्यात में कटौती करना चाहता है. लेकिन फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनियाभर के नेताओं से बातचीत के बाद लिया जाएगा.

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क्‍या है वजह

पीएम मोदी की अगुवाई में विश्व नेताओं ने ओपेक से कच्चे तेल की उचित और जवाबदेह कीमत तय करने को कहा था. भारत तेल का उपयोग करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. भारत अपनी ऊर्जा संबंधी 80 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. इसी बात को सऊदी अरब समेत ओपेक देशों ने तवज्‍जो दी.

रूस ने निभाई दोस्‍ती

ओपेक इसलिए भी क्रूड उत्‍पादन में कटौती का फैसला नहीं ले सका क्‍योंकि रूस ने उनका साथ नहीं दिया. ओपेक जितनी कटौती चाहता है उसके लिए रूस राजी नहीं था.

पीएम ने सख्‍ती से रखी थी अपनी बात

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के समूह (ओपेक) की बैठक में फलीह ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों को गंभीरता से लेते हैं, जो (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह) इस मुद्दे पर मुखर रहे हैं. हमने जी 20 सम्मेलन के दौरान ब्यूनस आयर्स में उनसे मुलाकात की थी. निजी तौर पर उन्होंने अपने मुद्दों को बहुत मजबूती के साथ रखा कि वह भारतीय उपभोक्ताओं का ख्याल रखते हैं और उसे लेकर बहुत गंभीर हैं. मैंने भारत में भी उन्हें 3 ऊर्जा कार्यक्रमों में देखा है, जहां वह काफी मुखर थे.