CRUDE पर मीटिंग : अगर कच्चा तेल 50 डॉलर पर आ जाए तो क्या अच्छे दिन आ जाएंगे?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के भाव 83 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचने पर आशंका थी कि भारत में पेट्रोल के दाम 100 रुपए प्रति लीटर को पार कर जाएंगे.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के भाव 83 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचने पर आशंका थी कि भारत में पेट्रोल के दाम 100 रुपए प्रति लीटर को पार कर जाएंगे. लेकिन यह अनहोनी खोखली साबित हुई. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड बीते हफ्ते 11 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट के साथ 60 डॉलर प्रति बैरल के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे लुढ़क गया है. अब कहा जा रहा है यह 50 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक आ जाएगा, जो भारत जैसे कच्चा तेल आयात करने वाले बड़े देशों के लिए बहुत लाभकारी होगा.
किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा
प्रमुख तेल आयातक देश भारत और दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था क्रूड के दाम और गिरने से सबसे ज्यादा मजबूत होगी. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक तेल कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट का अर्थ है तेल आयातक देशों की जीडीपी में 0.5% से 0.7% की बढ़ोतरी होना. यानी भारत की अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी. देश की विकास दर बढ़ जाएगी. साथ ही महंगाई भी घटेगी.
भारत पर क्या पड़ेगा असर
तेल कीमतें नीचे आने से भारत में महंगाई और घटेगी. केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में कमी करने का मौका मिलेगा. क्रूड सस्ता होने से डीजल की कीमतें और नीचे आएंगी. डीजल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा रेलवे-रोड ट्रांसपोर्ट में होता है. इसके जरिए रोजमर्रा की जरूरी चीजों दलहन, तिलहन, सब्जी व अन्य चीजों को यहां से वहां भेजा जाता है. साथ ही कच्चे माल की सप्लाई भी होती है. इससे रोजमर्रा की चीजों का ट्रांसपोर्टेशन सस्ता होगा और कीमतें नीचे आएंगी.
किसे होगा नुकसान
क्रूड की कीमतें घटने से अमेरिका, रूस, सऊदी अरब व अन्य तेल उत्पादक देशों की आमदनी प्रभावित होगी. वहां के केंद्रीय बैंकों पर ब्याज दर बढ़ाने का दबाव बढ़ जाएगा. सऊदी अरब रूस और अमेरिका दोनों पर निर्भर है. वह इन्हीं दोनों देशों से तालमेल रखकर तेल का उत्पादन करता है ताकि कीमतें प्रभावित न हों. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था 3 से 5 फीसदी तक प्रभावित होगी. वहीं यूएई, रूस और नाइजीरिया की जीडीपी पर दो फीसदी तक असर पड़ सकता है.
इन बैठकों पर टिकीं निगाहें
ग्रुप 20 की इस सप्ताहंत मीटिंग प्रस्तावित है. सऊदी अरब के साथ रूस और अमेरिका की निगाहें इस पर टिकी हैं. इसके बाद अगले हफ्ते 6 दिसंबर 2018 को OPEC की बैठक है. इन बैठकों के बाद ही क्रूड की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा, यह साफ हो पाएगा.