उत्तर कोरिया, दुनिया का ऐसा देश, जिसकी छवि पड़ोसी मुल्कों को हमेशा खौफ में रखती है. वजह है उत्तर कोरिया के कानून और उसके तानाशाह किम जोंग उन की रहस्मयी दुनिया. दुनिया के ज्यादातर देश उत्तर कोरिया को अलग-थलग ही मानते हैं. लेकिन, चीन और रूस के किम के रिश्ते किसी से छुपे नहीं हैं. हाल ही में किम जोंग उन अपनी रहस्यमयी ट्रेन से रूस पहुंचे थे. चर्चा है कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच हथियारों को लेकर समझौते हुए हैं. 

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उत्तर कोरिया के रिश्ते दुनिया के बाकी देशों से बहुत सीमित हैं. लोगों की आवाजाही पर पाबंदियां हैं. तानाशाह किम जोंग उन देश और जिंदगी इतनी रहस्यमयी है कि वो क्या करता है, कहां जाता है, किससे मिलता है कोई नहीं जानता. सिर्फ कुछ खास अधिकारियों को ही किम की हर चाल की जानकारी होती है. ये वो अधिकारी हैं, जो किम के भरोसेमंद हैं. हाल के महीनों में उत्तर कोरियाई नेता की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों से दुनिया को कुछ चीजें जानने का मौका मिला. लेकिन, ये सिर्फ नमूना भर है. किम जोंग की रहस्यमयी दुनिया को पूरी तरह शायद ही किसी ने देखा हो. आइये एक नजर डालते हैं किम जोंग उन की खुफिया और रहस्यों से भरी दुनिया पर...

पूरी तरह रहस्यों से भरा है प्राइवेट जेट

किम जोंग उन ने अब तक चार से पांच बार चीन का दौरा किया. सत्ता संभालने के बाद से पहली बार उत्तर कोरिया का तानाशाह चीन ही पहुंचा था. किम जोंग उन उत्तर कोरिया के अंदर भी अपने प्राइवेट जेट का इस्तेमाल करता है. जिस विमान से वो चीन गया था वो रूस में बना लंबी दूरी का विमान द इल्यूशिन-62 (II-62) था. इसका खुलासा दक्षिण कोरिया की एक न्यूज एजेंसी ने किया था. इसे कोरियाई बाज की एक प्रजाति 'शैमी-1' के नाम से जाना जाता है.

प्राइवेट जेट की खासियत क्या है?

प्राइवेट जेट पूरी तरह सफेद रंग का है. बाहरी हिस्से पर दोनों तरफ कोरियाई भाषा के बड़े अक्षरों में उत्तर कोरिया लिखा है. नॉर्थ कोरिया का राष्ट्रीय झंडा बना हुआ है. विमान के पिछले हिस्से में नीले और लाल घेरे के बीच लाल रंग का एक स्टार बना हुआ है. विमान पूरी तरह से मॉर्डन फैसिलिटी से भरा है. किम जोंग उन की कई तस्वीरें सामने जिसमें वो अपने प्राइवेट प्लेन में अंदर काम करते या मीटिंग लेते दिखाई दिए. 'शैमी-1' पहली बार फरवरी 2018 में सुर्खियों में तब आया जब इसमें उच्च स्तरीय उत्तर कोरियाई ओलंपिक प्रतिनिधिमंडल दक्षिण कोरिया गया, उसमें किम जोंग उन की बहन किम यो-जोंग भी शामिल थीं.

बाप-दादा नहीं भरते थे उड़ान फिर को किम क्यों नहीं डरता?

किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल और उनके दादा किम II-संग हवाई यात्राओं से परहेज करते थे. दक्षिण कोरियाई मीडिया के मुताबिक, उन्हें इससे डर लगता था. हालांकि, किम जोंग उन को ऐसा कोई डर नहीं है. साल 2015 में सरकारी मीडिया में किम जोंग उन के कुछ वीडियो सामने आए थे, जिसमें उन्हें हल्के स्वदेशी विमान और दो पंखों वाले AN-2 मिलिट्री विमान को उड़ाते देखा गया था.

'द बिग ट्रेन' स्टोरी

किम जोंग उन ने अपनी स्पेशल 'द बिग ट्रेन' से चीन का दौरा किया था. हाल ही में रूस भी इस ट्रेन से किम पहुंचे थे. ये एक खास ट्रेन है. ऐसा माना जाता है कि ये वो ही ट्रेन है, जिसे किम के पिता दिसंबर 2011 में अपनी मौत से पहले विदेशी दौरों के लिए इस्तेमाल करते थे. 'गहरे हरे रंग और उस पर पीले रंग की पट्टी' वाली इस ट्रेन की तस्वीरें चीन के सोशल नेटवर्क पर वायरल हुईं. साल 2018 में जब ये ट्रेन चर्चा में आई, तब से दुनियाभर में इस ट्रेन की चर्चा होने लगी. 

आखिर इतनी खास क्यों है ये ट्रेन?

किम जोंग इल की इस ट्रेन में करीब 90 डिब्बे हैं. उसमें कॉन्फ्रेंस रूम, ऑडियन्स चेंबर, बेडरूम था और सैटेलाइट फोन-टीवी कनेक्शन हैं. उत्तर कोरिया की एक एजेंसी के मुताबिक, किम जोंग-इल की मौत भी इसी अधिकारिक ट्रेन में हुई थी, जब वो उत्तर कोरिया के बाहर एक मुआयने पर थे. उस दौरान इस रेलगाड़ी में दुनिया की सबसे महंगी वाइन सर्व हुआ करती थी. ट्रेन में शानदार पार्टियां हुआ करती थीं. किम जोंग इल ने इस रेलगाड़ी से करीब 10-12 दौरे किए जिनमें से ज्यादातर चीन के थे.

हर कोच बुलेटप्रूफ

ट्रेन का हर कोच बुलेटप्रूफ है. सामान्य रेल कोच की तुलना में इसका कोच कहीं ज्यादा भारी है. ज्यादा वजन की वजह से ट्रेन की रफ्तार कम होती है. बताया जाता है कि इसकी अधिकतम स्पीड 37 मील प्रति घंटे तक जाती है. 2009 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, किम जोंग इल के दौर के वक्त 100 सुरक्षा अधिकारी एडवांस्ड ट्रेन में मौजूद होते थे. ये अधिकारी स्टेशन की जांच-पड़ताल करते थे और तभी ट्रेन आगे बढ़ती थी. इसके अलावा ट्रेन की एडिशनल सुरक्षा के लिए ट्रेन के ऊपर सैन्य हेलिकॉप्टर और एयरप्लेन भी उड़ान भरते थे.

ट्रेन हाइटेक तो स्टेशन भी पर्सनल

ट्रेन की खासियत तो ठीक लेकिन एक और चौंकाने वाली बात ये है कि उत्तर कोरिया में अलग-अलग जगह पर ऐसे 22 रेलवे स्टेशन हैं, जो किम जोंग के व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए हैं. अक्सर ट्रेन में किम जोंग उन एक लंबी सफेद टेबल पर बैठे नजर आते हैं, जो शायद उनका कॉन्फ्रेंस रूम है.

किम जोंग उन के लिए तैयार की गई मर्सिडीज बेंज

चीन दौरा हो या फिर सिंगापुर दौरा, किम जोंग उन ने एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अपनी मर्सिडीज बेंज एस क्लास का इस्तेमाल किया. इस कार को खासतौर पर किम जोंग उन के लिए तैयार किया गया है. ये कार साल 2010 में बनाई गई थी और इसे बनाने में करीब 12 करोड़ रुपए का खर्च आया था. कोरियाई शिखर सम्मेलन के दौरान किम जोंग उन की इस एस-क्लास ने सबका ध्यान खींचा था. रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि किम के काफिले की गाड़ियों में एक निजी टॉयलेट कार भी साथ चलती है ताकि लंबे दौरों में उन्हें परेशानी न हो. यह गाड़ी किम जोंग उन के बख्तरबंद काफिले का हिस्सा है.

रहस्यमयी नाव

उत्तर कोरिया में कई बार किम जोंग उन को नाव, पन्डुब्बी, बस और यहां तक कि स्की लिफ्ट की सवारी करते हुए देखे गए. जब सरकारी मीडिया ने सेना के फीशिंग स्टेशन पर उनकी एक तस्वीर छापी थी तो उनके पीछे एक नाव दिखाई दे रही थी. करीब 47 करोड़ की यह नाव किम जोंग उन की थी या नहीं इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं है. इस बात की भी पुष्टि नहीं है कि लग्जरी सामानों के आयात पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद इसे कैसे लाया गया. हालांकि, इसकी कीमत को देखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे किम जोंग उन का होने से इनकार किया है.

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