चांद पर मिला पानी, NASA की खोज से इंसानी बस्तियां बसाने की उम्मीदें और मजबूत
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा NASA ने चांद की सतह पर पानी की खोज की है. यह वह सतह है जहां सीधे सूरज की रोशनी पड़ती है. पहले के अनुमान के मुकाबले कहीं ज्यादा पानी हो सकता है.
चांद पर जीवन अब भी एक सपना है. लेकिन, यह सपना सच्चाई की तरफ तेजी से बढ़ता दिख रहा है. इंसानी बस्तियां बसाने की उम्मीदें बरकरार हैं. हालिया जानकारी में इसे और मजबूती मिलती है. चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी को लेकर नई जानकारियां सामने आई हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा NASA ने चांद की सतह पर पानी की खोज की है. यह वह सतह है जहां सीधे सूरज की रोशनी पड़ती है. पहले के अनुमान के मुकाबले कहीं ज्यादा पानी हो सकता है. इसके ठंडे कोनों और चट्टानों में जमा हुआ पानी होने के भी प्रमाण मिले हैं.
चंद्रमा पर पानी की खोज NASA की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (SOFIA) ने की है. NASA की खोज से न केवल चंद्रमा पर भविष्य में होने वाले मानव मिशन को बड़ी मजबूती मिलेगी. बल्कि प्रचुर मात्रा में पानी होने से भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. NASA मुख्यालय में विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हर्ट्ज ने कहा कि हमारे पास पहले से संकेत थे कि H2O जिसे हम पानी के रूप में जानते हैं, वह चंद्रमा के सतह पर सूर्य की तरफ मौजूद हो सकता है. इससे हमें और गहन अंतरिक्ष खोज की प्रेरणा मिलती है.
चांद पर इंसानी बस्तियां बसाने की योजना
NASA की चांद पर मानव बस्तियां बसाने की योजना है. नासा की पहले से ही 2024 तक चांद की सतह पर मानव मिशन भेजने की तैयारी है. नासा अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए चांद की सतह पर 2024 तक इंसानों को पहुंचाना चाहता है. चांद पर मिले पानी के प्रमाण से साफ है कि इसका इस्तेमाल पीने के लिए किया जा सकता है. साथ ही ईंधन के तौर पर भी इसका इस्तेमाल संभव है.
बर्फ नहीं अणु के रूप में पानी
नेचर एस्ट्रोनॉमी के ताजा अंक में प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्थान के डेटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी का पता चला है. तुलनात्मक रूप में सोफिया ने चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खोज की है, उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है. जिस पानी का पता लगाया गया है, वह बर्फ के रूप में नहीं है, बल्कि पाने के अणु हैं. ये अणु एक-दूसरे से इतनी दूर हैं कि बर्फ या द्रव अवस्था में नहीं आ पाता हैं.
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अरबों साल तक रह सकता है पानी
रिपोर्ट के मुताबिक, चांद के ठंड हिस्से को केंद्र में रखा गया है. इस हिस्से पर तापमान शून्य से 163 डिग्री सेल्सियस तक नीचे रहता है. इस तापमान में पानी अरबों साल तक जमा रह सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडो के पॉल हेन ने कहा चांद पर 40 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की संभवना है. यह पहले के अनुमान से 20 फीसदी ज्यादा है. हालांकि, चांद पर पानी कहां से आया, ये एक बड़ा रहस्य है.