ब्लैकमनी रखने वालों की खैर नही, अब आसानी से उजागर होगा नाम
मनी लांड्रिंग (Money Laundering) और आतंकवादियों को वित्त पोषण समेत अघोषित संपत्तियों के लिए एक सुरक्षित माने जाने वाले स्विट्जरलैंड ने अपनी इस छवि को बदलने की कोशिश शुरू कर दी है.
कर पनाहगाह (Tax Heaven) देशों में काली कमाई छिपाने वाले भारतीयों की अब खैर नहीं है. मनी लांड्रिंग (Money Laundering) और आतंकवादियों को वित्त पोषण समेत अघोषित संपत्तियों के लिए एक सुरक्षित माने जाने वाले स्विट्जरलैंड ने अपनी इस छवि को बदलने की कोशिश शुरू कर दी है. उसने अपने बैंकों में गलत तरीके से कमाई गई रकम रखने के मामले में कार्रवाई के लिए भारत समेत अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाया है.
यह बात मनी लांड्रिंग रिपोर्टिंग ऑफिस स्विट्जरलैंड (MROS) की सालाना रिपोर्ट से पता चलती है. इसमें कई ऐसे मामलों का जिक्र है जहां उसने मनी लांड्रिंग और आतंकवादियों के वित्त पोषण के मामलों का पता लगाने के लिए विदेशी प्राधिकरणों के साथ सहयोग किया.
स्विस मनी लांड्रिंग कानून के तहत एमआरओएस मनी लांड्रिंग के संदर्भ में संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट प्राप्त करता है और उसका विश्लेषण करता है. और अगर जरूरत हुई तो उसे जांच एजेंसियों के पास आगे की पड़ताल के लिये भेजता है.
MROS स्विस एजेंसी भी है जिसे अन्य देशों की वित्तीय खुफिया इकाइयां (FIU) मनी लांड्रिंग और आतंकवादियों के वित्त पोषण को लेकर द्विपक्षीय प्रशासनिक सहायता और सूचना आदान-प्रदान के लिये अनुरोध करती हैं.
वर्ष 2018 में एमआरओएस को 104 देशों की 795 एफआईयू से सवाल मिले. यह 2017 में 94 देशों से पूछे गये 711 पूछताछ से अधिक हैं. एमआरओएस ने कहा कि विदेशों से मिले अनुरोधों की संख्या 2018 में 4,671 रही. यह 2011 की तुलना में लगभग दोगुनी हो गयी है. हालांकि एमआरओएस ने यह नहीं बताया कि उसे किन देशों से कितने अनुरोध मिले.