दुनिया में किसी भी देश के लोग नहीं करते 90 घंटा काम, इस देश के लोग हैं सबसे कम काम में आगे
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने भी अधिक काम करने को स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताया है. इन संगठनों का कहना है कि लंबे समय तक काम करने से स्ट्रेस, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यम के सुझाव कि कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए और रविवार को भी काम करने से परहेज नहीं करना चाहिए, ने वर्क-लाइफ बैलेंस पर एक नई बहस छेड़ दी है. यह बयान उस समय आया जब लंबे काम के घंटे और उनसे होने वाले तनाव के कारण स्वास्थ्य समस्याओं की घटनाएं बढ़ रही हैं.
क्या कहती है रिपोर्ट?
पिछले साल EY पुणे की कर्मचारी अन्ना सेबेस्टियन पेरयिल की मृत्यु ने यह दिखाया कि लंबे काम के घंटे कैसे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने भी अधिक काम करने को स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताया है. इन संगठनों का कहना है कि लंबे समय तक काम करने से स्ट्रेस, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
सबसे अधिक काम करने वाले देश:
- भूटान: 54.4 घंटे
- संयुक्त अरब अमीरात: 50.9 घंटे
- लेसोथो: 50.4 घंटे
- कांगो: 48.6 घंटे
- कतर: 48.0 घंटे
सबसे कम काम करने वाले देश:
- वानुअतु: 24.7 घंटे
- किरिबाती: 27.3 घंटे
- माइक्रोनीशिया: 30.4 घंटे
भारत की स्थिति
भारत लंबे काम के घंटों के मामले में 13वें स्थान पर है. यहां औसतन कर्मचारी हफ्ते में 46.7 घंटे काम करता है. ILO के डेटा के अनुसार, 51% भारतीय कर्मचारी हर हफ्ते 49 घंटे या उससे अधिक काम करते हैं. इसके नतीजे चिंताजनक हैं. एक सर्वे में पाया गया कि 62% भारतीय कर्मचारी बर्नआउट का अनुभव करते हैं, जो वैश्विक औसत 20% से तीन गुना ज्यादा है.