ऐतिहासिक इमारतों से घिरे शहर और भारत में राजस्थान की राजधानी जयपुर को शनिवार के दिन यूनेस्को (UNESCO) विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला. यह निर्णय यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के 43वें सत्र में लिया गया. यह सत्र 20 जून से अजरबैजान के बाकू में चल रहा है और 10 जुलाई तक चलेगा. जयपुर के अलावा सत्र के दौरान समिति ने यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में अभिलेख के लिए 36 नामांकनों की जांच की.

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पीएम ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कदम का स्वागत करते हुए ट्वीट किया : "जयपुर एक शहर है जो संस्कृति से बहादुरी से जुड़ा हुआ है. मनोहर और ऊर्जावान, जयपुर की मेहमाननवाजी हर कहीं से लोगों को आकर्षित करती है. खुशी है कि इस शहर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया गया है."

कब बसा जयपुर

जयपुर की स्थापना 1727 ईस्वीं में सवाई जय सिंह द्वितीय के संरक्षण में किया गया था. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने कहा था, नगर नियोजन और वास्तुकला में अपने अनुकरणीय विकास के मूल्यों के लिए इस शहर को प्रस्तावित किया जाना था जो मध्ययुगीन काल में सम्मिश्रण और विचारों के आदान-प्रदान का प्रदर्शन करती है.

मध्य युगीन व्यापार का उदाहरण

नगर नियोजन में यह प्राचीन हिन्‍दू, मुगल और समकालीन पश्चिमी विचारों का आदान-प्रदान दिखाता है जिसका परिणाम एक शहर के रूप में सामने आया है. अंतरराष्‍ट्रीय संगठन ने यह भी कहा, जयपुर दक्षिण एशिया में मध्य युगीन व्यापार का भी एक उत्कृष्ठ उदाहरण है.

54 खतरे की सूची में

विश्व धरोहर समिति पहले से ही 166 स्थलों के संरक्षण की जांच कर रही है, जिनमें से 54 खतरे की सूची में शामिल हैं. अब तक 167 देशों में 1,092 स्थलों को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है.