Israel Rocket Attack: इजराइल नियंत्रित गोलन हाइट्स में शनिवार को एक फुटबॉल मैदान पर हुए रॉकेट हमले में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गयी और बच्चों समेत कई अन्य लोग घायल हो गए. यह रॉकेट हमला दक्षिणी लेबनान पर इजराइली हवाई हमले में हिजबुल्ला समूह के तीन सदस्यों के मारे जाने के कुछ घंटों के बाद हुआ. यह हमला, पिछले साल अक्टूबर में इजराइल और हिजबुल्ला समूह के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद से किसी इजराइली क्षेत्र पर किया गया सबसे घातक हमला है, जिससे क्षेत्र में व्यापक संघर्ष की आशंका पैदा हो गई है.

बच्चों सहित 10 की मौत

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इजरायल नियंत्रित गोलन हाइट्स के मजदल शम्स के ड्रूज शहर में एक फुटबॉल मैदान में रॉकेट हमले में बच्चों सहित दस लोगों की मौत हो गई है. इजरायली मीडिया की ओर से ये जानकारी दी गई है. हेलीकॉप्टर और एम्बुलेंस को घटनास्थल पर भेजा गया, घायलों को जिव मेडिकल सेंटर पहुंचाया गया. सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने इजरायली सरकारी ब्रॉडकास्ट कान टीवी का हवाला देते हुए बताया.

देश की आपातकालीन चिकित्सा सेवा मैगन डेविड एडोम के एक वरिष्ठ डॉक्टर इदान अवशालोम ने कहा, "हम मैदान पर पहुंचे और जलती हुई चीजें देखीं. हताहत लोग जमीन पर पड़े थे, और दृश्य काफी भयावह था."

हिजबुल्लाह ने किया हमले से इंकार

इजरायली मीडिया ने कहा कि रॉकेट लेबनान से हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह द्वारा दागा गया, जबकि हिजबुल्लाह ने शनिवार शाम को हुए हमले में शामिल होने से इनकार किया और कहा कि शिया समूह का "इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है."

हिजबुल्लाह के इनकार के बाद, इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने एक बयान में कहा कि "आईडीएफ के आकलन और हमारे पास उपलब्ध खुफिया जानकारी के बाद, मजदल शम्स पर रॉकेट फायर हिजबुल्लाह द्वारा किया गया था".

कान टीवी के अनुसार, इजरायल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट, सेना प्रमुख हर्ज़ी हलेवी और अन्य वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने हमले के बाद स्थिति का जायजा लिया.

अमेरिका के दौरे पर हैं नेतन्याहू

इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जो फिलहाल अमेरिका के दौरे पर हैं, को घटना के विवरण से अवगत करा दिया गया है और वे वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों के साथ सुरक्षा परामर्श कर रहे हैं.

बता दें कि इजरायल ने अपनी पहली बस्ती वेस्ट बैंक में नहीं, बल्कि गोलन हाइट्स में ही बनाई थी. इसने 1980 में औपचारिक रूप से गोलन हाइट्स पर कब्ज़ा किया था, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इसकी निंदा की थी.