भारत ने मालदीव को दिया बड़ा झटका, साहयता राशि में 22 फीसदी तक की कटौती, पड़ोसी देश के लिए खोला खजाना
Interim Budget 2024, MEA Allocations: अंतरिम बजट 2024 में मालदीव की सहायता राशि में बड़ी कटौती की है. वहीं, भारत भूटान को 2400 करोड़ रुपए सहायता राशि देगा. जानिए किस देश को मिली कितनी सहायता राशि.
Interim Budget 2024, MEA Allocations: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बृहस्पतिवार को संसद में पेश अंतरिम बजट में विदेश मंत्रालय को कुल 22,154 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. पिछले साल उसका परिव्यय 18,050 करोड़ रुपये था. भारत की ‘पड़ोस पहले’ नीति के अनुरूप, 2,068 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ‘सहायता मद’ का सबसे बड़ा हिस्सा भूटान को दिया गया है. वहीं, मालदीव को मिलने वाली साहयता में 22 फीसदी की कटौती की गई है.
Interim Budget 2024, MEA Allocations: मालदीव की साहयता राशि में 22 फीसदी की कटौती, भूटान पर भारत खर्च करेगा 2,400 करोड़ रुपए
बजट दस्तावेजों के अनुसार,मालदीव की विकास सहायता में 22 फीसदी कटौती की गई है. पिछले साल के 770 करोड़ रुपये के मुकाबले इस साल 600 करोड़ रुपये रखी गई है. 2023-24 में हिमालयी राष्ट्र के विकास के लिए भारत 2,400 करोड़ रुपए खर्च करेगा. वहीं, ईरान के साथ कनेक्टिविटी पर भारत का बजट पर खास फोकस है. चाबहार बंदरगाह के लिए आवंटन 100 करोड़ रुपये ही रखा गया है. अफगानिस्तान के लिए 200 करोड़ रुपए की बजटीय सहायता निर्धारित की गई है.
Interim Budget 2024, MEA Allocations: मॉरिशस को मिलेंगे 370 करोड़ रुपए, श्रीलंका को 75 करोड़ रुपए क सहायता राशि
मॉरीशस के लिए 370 करोड़ रुपये और म्यांमार के लिए 250 करोड़ रुपये की विकास सहायता राशि तय की गई है.वहीं, श्रीलंका को मिलने वाली राशि में बढ़ोत्तरी की गई है. श्रीलंका को 75 करोड़ रुपए की विकास साहयता मिलेगी. अफ्रीकी देशों के लिए 200 करोड़ रुपये की सहायता राशि अलग रखी गई है. लातिन अमेरिका और यूरेशिया जैसे विभिन्न देशों और क्षेत्रों के लिए कुल विकास सहायता 4,883 करोड़ रुपये तय की गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अंतरिम भाषण में भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि भारत और अन्य देशों के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से परिवर्तनकारी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के शब्दों में, गलियारा आने वाले सैकड़ों वर्षों के लिए विश्व व्यापार का आधार बनेगा, और इतिहास याद रखेगा कि इस गलियारे की शुरुआत भारतीय धरती पर हुई थी.’