भारत ने बागवानी, वस्त्र, रसायन और औषधि सहित 380 उत्पादों की पहचान की है और इन उत्पादों की 1 सूची चीन के साथ साझा की. दरअसल, इन उत्पादों की चीन में निर्यात की बड़ी संभावनाएं हैं. इन उत्पादों का निर्यात बढ़ने से भारत को चीन के साथ अपना व्यापार घाटा कम करने में मदद मिलेगी. अप्रैल-फरवरी 2018-19 के दौरान, चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 50.12 अरब डॉलर पर था. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस दौरान, चीन को भारत का निर्यात 28.61 प्रतिशत बढ़कर 15 अरब डॉलर रहा जबकि चीन से भारत का आयात 6.29 प्रतिशत गिरकर करीब 65 अरब डॉलर रहा. अधिकारियों ने कहा कि हाल के महीनों में भारत से समुद्री उत्पादों, कपास, जैविक रसायन, अंगूर और प्लास्टिक के निर्यात में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 

भारतीय निर्यातकों को चीन के बाजारों में कुछ गैर-शुल्क बाधाओं का सामना करना पड़ता है. यह चीन में निर्यात को रोकता है. वाणिज्य मंत्रालय ने चीन को निर्यात बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा के लिए 4 अप्रैल को हितधारकों समेत निर्यात संवर्धन परिषदों और अन्य सरकारी विभागों की बैठक बुलाई थी. 

भारत निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहा है. हाल ही में, वह चीन को गैर-बासमती चावल जैसे कृषि सामानों का निर्यात करने में कामयाब रहा है. भारत विभिन्न कृषि उत्पादों, पशु चारा, तिलहन, दूध और दूध से बने उत्पादों, औषधि के लिए अधिक से अधिक बाजार पहुंच की मांग कर रहा है क्योंकि इन उत्पादों/सेवाओं की चीन के बाजार में निर्यात की संभावनाएं हैं.