15 साल की उम्र में इजरायल से शुरू की जंग, सद्दाम हुसैन ने इराक से भगाया, जानिए कौन था हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्लाह
हिजबुल्ला समूह ने अपने नेता और समूह के संस्थापकों में से एक हसन नसरल्ला के इजराइली हवाई हमले में मारे जाने की शनिवार को पुष्टि की. नसरल्ला ने तीन दशकों से ज्यादा समय तक आतंकवादी समूह का नेतृत्व किया है.
लेबनान के हिजबुल्ला समूह ने अपने नेता और समूह के संस्थापकों में से एक हसन नसरल्ला के इजराइली हवाई हमले में मारे जाने की शनिवार को पुष्टि की. शनिवार को जारी एक बयान में बताया गया कि नसरल्ला ‘शहीद होने वाले अपने साथियों में शामिल हो गए.' इजराइल की हिज्बुल्ला के साथ कई सप्ताह तक जारी जंग में नसरल्ला की मौत को आतंकवादी समूह के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है. नसरल्ला ने तीन दशकों से ज्यादा समय तक आतंकवादी समूह का नेतृत्व किया है.
अपने मुख्यालय में बैठा था नसरल्ला, इजरायल ने किया सटीक हवाई हमला
इजराइल के सेना ने कहा कि जब हिजबुल्ला का नेतृत्व बेरूत के दक्षिण में दहियेह स्थित अपने मुख्यालय में बैठक कर रहा था तभी एक सटीक हवाई हमला किया गया. इजराइली सेना ने कहा कि हिजबुल्ला के दक्षिणी मोर्चे के कमांडर अली कार्की और उसके अन्य कमांडर भी हमले में मार गिराए गए. नसरल्लाह, 1982 में लेबनान पर इजरायली आक्रमण के बाद, हिजबुल्लाह की स्थापना के समय से ही इसके साथ जुड़ा हुआ था.1992 में उसने संगठन के नेता के रूप में कार्यभार संभाला और इसे एक राजनीतिक-सैन्य इकाई बनाने का लक्ष्य रखा.
हिजबुल्लाह पर था पूरा नियंत्रण, 20000 से 25000 तक बढ़ा ली लड़ाकों की संख्या
नसरल्लाह का हिजबुल्लाह पर पूरा नियंत्रण था. वह संगठन का महासचिव होने के साथ ही शूरा परिषद का प्रमुख था. शूरा परिषद हिजबुल्लाह के धार्मिक, सैन्य, रणनीतिक मामलों के लिए फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है. नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्लाह ने लेबनान के भीतर राजनीतिक वैधता हासिल की.नसरल्लाह के मार्गदर्शन में हिजबुल्लाह ने अपनी मिलिट्री ताकत में फुल टाइम फाइटर्स की संख्या 20,000 से 25,000 तक बढ़ा ली और हजारों की संख्या में रिजर्व लड़ाके भी रख लिए.
15 साल की उम्र में इजरायल के खिलाफ शुरू की जंग, सद्दाम ने इराक से भगाया
नसरल्ला ईरान के इमाम सैयद मूसा सद्र से प्रभावित था. सद्र ने दक्षिणी लेबनान में इजरायल की घुसपैठ के खिलाफ आर्म्ड विंग बनाई थी. 15 साल की उम्र में नसरल्ला इसका सदस्य बना और इजरायल के खिलाफ जंग शुरू की. नसरल्ला दिसंबर 1976 में इस्लाम की पढ़ाई के लिए इराक के नजफ शहर चला गया. इराक में रहते हुए नसरल्ला को दो साल ही हुए थे कि सद्दाम हुसैन ने लेबनानी शिया छात्रों को इराकी मदरसों से निकालने का फरमान सुना दिया. 1978 में ईराक में शिया और सुन्नी के बीच संघर्ष बढ़ा और नसरल्ला लेबनान आ गया.
नसरल्ला और हिजबुल्ला को इजरायल के खिलाफ सबसे बड़ी सफलता साल 2000 में मिली थी जब इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान से अपना कब्जा छोड़ा था. हिजबुल्लाह कई तरह की रणनीतियों में महिर है, जिसमें घात लगाकर हमला करना, हत्या करना, बमबारी करना, अप्रत्यक्ष-फायर अटैक, अपहरण और अन्य सीक्रेट ऑपरेशन शामिल हैं." पिछले साल 8 अक्टूबर को हिजबुल्लाह और इजरायल के खिलाफ युद्ध में शामिल होकर लेबनान और पूरे क्षेत्र बेहद तनावपूर्ण बना दिया.