G7 Countries: पीएम नरेंद्र मोदी जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद इटली से भारत वापस लौट आए हैं. सम्मेलन में भारत-पश्चिम-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) जैसे ठोस बुनियादी ढांचे के प्रस्तावों को आगे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है. जी7 यानी ग्रुप ऑफ सेवन समूह में अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस, इटली,जर्मनी, जापान और कनाडा देश शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेजबान इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया है. जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री फूमिओ किशिदा और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सहित कई विश्व नेताओं से मुलाकात की.

G7 Countries: 2014 में रूस हुआ था जी 7 से बाहर,जानिए कितनी बड़ी हैं सात देशों की अर्थव्यवस्था

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जी7 ग्रुप में साल 1998 में रूस शामिल हुआ था, इसके बाद इसे जी8 कहा जाता था. हालांकि, साल 2014 में रूस के क्राइमिया में कब्जे के बाद रूस को इस गुट से निकाल दिया गया था. आईएमएफ के आंकड़ों की मानें तो दुनिया के 7 अमीर देशों के समूह जी-7 में अमेरिका पहले नंबर पर है, जिसकी जीडीपी 28,783 बिलियन यूएस डॉलर है. इसके बाद जर्मनी की 4,590 बिलियन यूएस डॉलर, जापान 4,112 बिलियन यूएस डॉलर, ब्रिटेन 3,502 बिलियन यूएस डॉलर, फ्रांस 3,132 बिलियन यूएस डॉलर, इटली 2,332 बिलियन यूएस डॉलर, कनाडा 2,242 बिलियन यूएस डॉलर जीडीपी है. 

G7 Countries: भारत को क्यों मिलता है जी7 का न्योता  

जी7 में तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था को भी न्योता दिया जाता है. पीएम नरेंद्र मोदी को साल  2019 और 2020 में भी आमंत्रित किया गया था. इसके अलावा साल 2023 में जापान के हिरोशिमा में आयोजित हुए सम्मेलन में पीएम मोदी ने हिस्सा लिया था. भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. वैश्विक मंदी के बीच पिछले तीन वर्षों में भारत 7% से अधिक की विकास दर से आगे बढ़ रहा है. पीएम मोदी ने जी7 में कहा, 'हमारा संकल्प 2047 तक विकसित भारत बनाने का है; हमारी प्रतिबद्धता है कि समाज का कोई भी वर्ग पीछे न छूटे.'

G7 Countries: जी7 पीजीआईआई का रखा है ठोस प्रस्ताव

जी7 की विज्ञप्ति में कहा गया, ‘हम गुणवत्तापूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश की खातिर परिवर्तनकारी आर्थिक गलियारे विकसित करने के लिए जी7 पीजीआईआई (वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिए साझेदारी) के ठोस प्रस्ताव, प्रमुख परियोजनाओं और पूरक प्रस्तावों को बढ़ावा देंगे, जैसे कि लोबिटो कॉरिडोर, लुजोन कॉरिडोर, मिडिल कॉरिडोर और भारत-पश्चिम एथिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर के लिए हमारे समन्वय तथा वित्तपोषण कार्यक्रम को मजबूत करना, इसके साथ ही ईयू ग्लोबल गेटवे, ग्रेट ग्रीन वॉल पहल और अफ्रीका के लिए इटली द्वारा शुरू की गई मैटेई योजना को तैयार करना है.’

एजेंसी इनपुट के साथ