रुपये में गिरावट का असर- निवेशी निवेशकों ने 5 दिन में भारत से निकाले 56 अरब रुपये
नई दिल्ली: रुपये की कीमतों में तेजी से आ रही गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के चलते विदेशी निवेशकों ने पिछले पांच कारोबारी सत्र के दौरान भारतीय पूंजी बाजार से 56 अरब रुपये की भारी बिकवाली की है. इससे पहले पिछले दो महीनों के दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में पैसा लगाया था.
ताजा ट्रेंड इसलिए भी परेशान करने वाला है क्योंकि पिछले महीने इक्विटी और डेट में कुल 52 अरब रुपये का निवेश किया गया था. इससे पहले जुलाई में 23 अरब रुपये का नेट इनवेस्टमेंट किया गया. हालांकि इससे पहले अप्रैल-जून के दौरान विदेशी निवेशकों द्वारा 610 अरब रुपये की बिकवाली की गई थी.
क्या हैं कारण?
ताजा डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक फारेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (एफपीआई) ने सितंबर 3-7 के बीच इक्विटी से 10.21 अरब रुपये निकाले, जबकि इसी दौरान डेट मार्केट से 46.28 अरब रुपये निकाले गए. इस तरह कुल 56.49 अरब रुपये की बिकवाली हुई. बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि रुपये में आ रही भारी गिरावट, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के साथ ही बाजार नियामक सेबी के एफपीआई सर्रकुलर को लेकर चिंताएं और ग्लोबल मार्केट में कमजोरी के चलते ताजा बिकवाली का रुझान सामने आया है.
विदेशी निवेशकों की चिंताएं
विदेशी निवेशकों के समूह एसेट मैनेजर्स राउंटटेबल ऑफ इंडिया (एएमआरआई) ने बीते सप्ताह कहा था कि यदि सेबी अपने प्रस्तावित केवाईसी और बेनीफिशियल ऑनरशिप नियमों को लागू करता है तो भारत से करीब 75 अरब डॉलर का आउट फ्लो होगा. हालांकि बाजार नियामक ने चिंताओं को दरकिनार करते हुए कहा था कि ये दावा एकदम विसंगतिपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना है.
मार्निंग स्टार में वरिष्ठ शोध विश्लेषक हिमांशु श्रीवास्तव के मुताबिक एफपीआई के बीच इस समय जारी अनिश्चितताओं को लेकर सावधानी है और लंबी अवधि के दौरान इसमें स्थायित्व देखने को मिलेगा. इस साल अभी तक एफपीआई ने कुल 34 अरब रुपये इक्विटी से और 426 अरब रुपये से अधिक डेट बाजार से निकाले हैं.
(एजेंसी इनपुट के साथ)