आमतौर पर किसी देश की करेंसी में मजबूती को उसकी ताकत माना जाता है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी डॉलर में मजबूती से खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इससे अमेरिकी कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हो रही है. डोनाल्ड ट्रंप ने देश में कर्ज महंगा होने के लिए एक बार फिर फेडरल रिजर्व को जिम्मेदार ठहराया है. भारत में रिजर्व बैंक की तरह फेडरल रिजर्व अमेरिका का केंद्रीय बैंक है. 

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डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट में कहा कि दूसरी प्रमुख करेंसी के मुकाबले अगर डॉलर कमजोर होता है तो इससे अमेरिकी कंपनियों को बाजार में मुकाबला करने में मदद मिलेगी. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि 'अगर कोई सोचता है कि राष्ट्रपति के रूप में मैं डॉलर में मजबूती से बहुत खुश होऊंगा तो ऐसा नहीं है!'

अमेरिका और चीन के बीच इस समय ट्रेड वॉर जारी है. चीन की कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका ने टैक्स में बढ़ोतरी की है. इसके जवाब में चीन ने अपनी करेंसी की कीमत घटा दी. ऐसा इसलिए किया गया ताकि अमेरिकी बाजारों में चीनी सामान महंगा न हो और चीन के कारोबारियों पर ट्रेड वार के असर को रोका जा सके.

इसे देखते हुए ही डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल रिजर्व से अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने के लिए कदम उठाने की अपील की है. ऐसा करने से दुनिया के बाजारों में अमेरिकी निर्यात बढ़ेगा और अमेरिकी कंपनियां फायदे में रहेंगी. उन्होंने कहा कि 'दूसरे देशों के मुकाबले फेडरल रिजर्व की ऊंची ब्याज दरों के चलते कैटरपिलर, बोइंग जैसे हमारे बड़े मैन्युफैक्चरर को दिक्कत हो रही है.' ट्रंप ने कहा कि फेडरल रिजर्व की नीतियों के चलते अमेरिकी कंपनियों के मुकाबले के लिए बराबरी का मौका नहीं मिल रहा है.