स्विट्जरलैंड के खूबसूरत शहर दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) की 50वीं सालाना बैठक आज से शुरू हो रही है. इसके लिए दावोस सजधज कर तैयार है. इस बैठक में दुनियाभर के नेता और उद्यमी हिस्सा ले रहे हैं. यह आयोजन 24 जनवरी तक चलेगा. आर्थिक मसलों पर चर्चा के लिए यह दुनिया में सबसे बड़ा मंच है. इस बार जब दुनिया के बड़े लीडर्स, बिजनेस टाइकून स्विट्जरलैंड की इन बर्फ से घिरी वादियों के बीच इकट्ठा होंगे तो उनके सामने कई गर्म मुद्दे हैं. इनमें से कुछ तो ऐसे होंगे जिन पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के इस मंच पर अबतक सिर्फ बड़ी बड़ी बातें हुईं, लेकिन हुआ कुछ नहीं. कुछ ऐसी भी चुनौतियां होंगी जिनका समाधान निकालने की शुरुआत हो चुकी है. आइये जानते हैं क्या हैं वो मुद्दे...

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ज़ी बिज़नेस (#ZeeBusinessatDavos) भी आपको दावोस से सीधे जानकारी देगा. स्विट्जरलैंड के मशहूर पर्यटन स्थल दावोस में ज़ी बिज़नेस लग्जरी कार सेगमेंट की लीडिंग कंपनी मर्सिडीज के सहयोग से आपके लिए सीधे लाएगा पल-पल की रिपोर्ट. 21 से 24 जनवरी तक होने वाली इस बैठक का हर एक्शन आप लाइव देख सकेंगे सिर्फ ज़ी बिज़नेस पर. 

1- अमेरिका-ईरान के बीच बढ़ता तनाव

अमेरिका और ईरान के बीच लंबे अर्से से चली आ रही तनातनी इतनी बढ़ चुकी है कि दुनिया भर के मीडिया ने इसे अगले वर्ल्ड वॉर की शुरुआत करार दे दिया है, पिछली बार WEF की बैठक से नदारद रहे डोनल्ड ट्रम्प अगर इस बार शामिल होते हैं तो उम्मीद है कि मिडिल ईस्ट की टेंशन को खत्म करने पर जरूर कुछ बोलेंगे. लेकिन जिस हिसाब से दोनों देशों के बीच जुबानी और मैदानी जंग चल रही है, इसका हल WEF से निकलना मुश्किल लगता है. मिडिल ईस्ट के मुद्दे पर दुनिया दो खेमों में बंट जाए, इससे पहले चीन, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा, क्योंकि दुनिया किसी भी तरह की लड़ाई झेलने को तैयार नहीं है.

2- अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर

दुनिया के दो सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिकी और चीन के बीच करीब दो साल से चल रहे ट्रेड वॉर को शांत करने की कोशिशें आगे बढ़ गई हैं, दोनों देशों के बीच ट्रेड एग्रीमेंट के पहले चरण पर हस्ताक्षर हो गए हैं, लेकिन ये अभी शुरुआत बस है, क्योंकि एग्रीमेंट के कई मुद्दों पर दोनों के बीच सहमति बनना बाकी है, इसलिए राष्ट्रपति ट्रम्प चीन जाने की तैयारी में हैं. अगर सबकुछ ठीक रहा तो ट्रेड वॉर के एक लंबे युग का अंत होगा और दुनिया चैन की सांस लेगी. IMF के ताजा अनुमान बताते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर से ग्लोबल इकोनॉमी को 45,500 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है. इसलिए दावोस में इकट्ठा होने वाले बिजनेस लीडर्स और ग्लोबल लीडर्स इस बात पर जोर देंगे कि दोनों देशों के बीच हर हाल में सुलह हो जाए.

3- ब्रेक्जिट के बाद बड़ी चुनौतियां

यूरोपियन यूनियन से 31 जनवरी को ब्रिटेन अलग हो जाएगा, लेकिन तीन साल तक चले ब्रेक्जिट के झगड़े ने दुनिया भर की इकोनॉमी को एक जोरदार झटका दिया, इस दौरान दुनिया भर के बाजारों पर दबाव रहा, IMF ने ग्लोबाल इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान भी घटाया, हालांकि ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन का भविष्य तय हो चुका है, मगर ये नई चुनौतियों की दस्तक भी है. यूरोपीय यूनियन की GDP में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 18 परसेंट है, अलग होने के बाद ब्रिटेन को नए सिरे से अपनी अर्थव्यवस्था का तानाबाना बुनना होगा, अपने वित्तीय संस्थानों को शिफ्ट करना, टैक्स अदायगी, व्यापार प्रतिबंध जैसे कई मुद्दें हैं जिससे ब्रिटेन को गुजरना होगा. ब्रिटेन और दुनिया के लीडर्स ब्रेक्जिट को लेकर क्या प्लान रखते हैं, दावोस में इसका इंतजार रहेगा.

4- 2020 में अर्थव्यवस्था का आउटलुक

चीन में आई सुस्ती और ट्रेड वॉर की वजह से 2019 में ग्लोबल ग्रोथ में गिरावट रही, दुनिया के कई हिस्सों में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर मंदी का साया रहा. लेकिन बीते एक दो महीने में ग्लोबल इकोनॉमी में एक राहत भरा ठहराव देखने को मिला है. इसकी वजह अमेरिका-चीन में ट्रेड एग्रीमेंट और ब्रेक्जिट के खतरों का कम होना मान सकते हैं. हमेशा से ग्लोबल इकोनॉमी का ब्राइट स्पॉट कंज्यूमर स्पेंडिंग रहा है, और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में दुनिया के लीडर्स के सामने ये चुनौती होगी कि कैसे जारी रखा जाए. जिससे लोगों की इनकम बढ़े, तेल के दाम कम रहें, महंगाई और ब्याज दरें काबू में रहें. इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया की वित्तीय हालत सुधरी है, बढ़ता कर्ज अब भी एक चुनौती है.

5- ग्लोबल वॉर्मिंग का बढ़ता खतरा

दुनिया एक नए दशक में कदम रख चुकी है, अब वक्त आ गया है ये तय करने का कि हम कैसी दुनिया चाहते हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग के खिलाफ दुनिया को एक नया हीरो मिला है, 17 साल की ग्रेटा थनबर्ग. जो इस बार वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में शामिल होंगी और दुनिया को विश्व नेताओं को उनकी करतूतों का आइना दिखाएंगी, जैसा कि उन्होंने पहले भी किया है. ग्रेटा थनबर्ग कहती हैं कि अब चुनौतियों पर बातें करने से काम नहीं चलेगा, और ना ही इसके लिए कोई डेडलाइन तय करनी होगी, क्योंकि जो करना है अभी करना है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में हर बार ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर चर्चा होती है, लेकिन होता कुछ नहीं, तो क्या WEF में ग्रेटा थनबर्ग की बातें सुनी जाएंगी.

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6 - ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2020

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2020 में दुनिया को सबसे बड़े पांच खतरे पर्यावरण से छेड़छाड़ से जुड़े बताए गए हैं. इनमें Extreme weather events यानि मौसम में खतरनाक बदलाव, जलवायु परिवर्तन पर सहमति नहीं बन पाना, बड़ी प्राकृतिक आपदाएं, जैव विविधता का भारी नुकसान, मानव जनित आपदाएं शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है मानवीय गतिविधियों के चलते पृथ्वी के 83 फीसदी जंगली स्तनधारियों और आधे से ज्यादा पौधों का खात्मा हो चुका है. रिपोर्ट में पानी की कमी, एक्ट्रीम हीट वेव और साइबर अटैक के बढ़ते खतरों के निपटने की जरूरत पर खासा जोर दिया गया है.

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