कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ रहा है. अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, भारत जैसे तमाम देशों में एतिहातन ज्यादातर ऑफिसेज बंद कर दिए गए हैं. कई बड़ी कंपनियों ने अपने प्लांट बंद कर दिए हैं. वहीं, वर्क फ्रॉम होम कल्चर को भी अपनाया जा रहा है. लेकिन, चीन ने दावा किया है कि उसने कोरोना वायरस की दवा तैयार कर ली है और जल्द ही उसका ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा. वहीं, चीन से पहले अमेरिका के सिएटल में कोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है. लेकिन, सवाल ये है कि कोरोना की दवा बाजार में कब तक आएगी और आम आदमी इस दवा को कब खरीद सकेगा. ज़ी बिज़नेस के रिसर्च के आशीष चतुर्वेदी ने बताया कि ये किस तरह का टेस्ट है, इसके डीटेल्स क्या हैं और कितना वक्त लगेगा. 

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कब तक आएगी बाजार में दवा?

आशीष चतुर्वेदी के मुताबिक, भले ही इसका परीक्षण शुरू हो गया है, लेकिन दवा को बाजार में आने में 12 से 18 महीने का समय लग सकता है. अमेरिका में करीब 4 वॉलंटियर्स ने खुद आगे आकर वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूर किया था. मॉर्डना थेरापेटिक्स (Modern Therapeutics) ने वॉशिंगटन में कोरोना वैक्सीन का टेस्ट किया गया है. अमेरिका के स्वस्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कुल 45 लोगों पर वैक्सीन का टेस्ट किया जाएगा. करीब 6 हफ्तों तक टेस्ट चलेंगे. पहला टेस्ट वॉशिंगटन के सिएटल शहर में सोमवार शाम किया गया है. अगला टेस्ट 28 दिन बाद होगा. 

वीडियो में समझिए क्या होता है वायरस की वैक्सीन बनाने का प्रोसेस

क्या है टेस्ट का प्रोसेस?

किसी भी वायरस की वैक्सीन का टेस्ट करने के लिए वायरस का एक वीकर वर्जन (Weaker Version) या डेड (Dead) वायरस को वॉलंटियर्स की बॉडी में इंजेक्ट किया जाता है. यह वायरस एक लिमिट से ज्यादा नुकसान नहीं करता है. वॉलंटियर्स को ऑबजर्वेशन में रखा जाता है. धीरे-धीरे मॉनिटरिंग के पता चलता है कि वायरस का असर खत्म हुआ या नहीं. इसी तरह से वैक्सीन को तैयार किया जाता है. अगर टेस्ट कामयाब रहता है तो ऑफिशियल अप्रूवल के लिए भी 1 साल तक का समय लग सकता है.

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क्या रखा गया है वैक्सीन का नाम?

टेस्ट के लिए वैक्सीन का नाम mRNA-1273 रखा गया है. वैक्सीन में कोरोना वायरस से कॉपी किया गया जेनेटिक कोड शामिल है. कुल मिलाकर दुनिया की 35 कंपनियां ऐसी हैं जो कोरोना वैक्सीन बनाने पर रिसर्च कर रही हैं. लेकिन, फिलहाल ये कहना जल्दबाजी है कि दवा बाजार में कब तक आएगी. क्योंकि, टेस्ट होने के बाद भी लगभग 1 साल से ज्यादा समय लग सकता है. हालांकि, 3 महीने में वायरस की वैक्सीन का ह्यूमन टेस्ट शुरू कर देना काफी बड़ी बात है. लेकिन, ऑफिशियल अप्रूवल मिलने के बाद भी करीब 1 से डेढ़ साल तक का समय लग सकता है.