कोरोना वायरस (Coronavirus) के केस लगातार बढ़ रहे हैं. सरकार स्थिति की समीक्षा कर रहे है. केस बढ़ने की संख्‍या देखते हुए सरकार Lockdown को आगे बढ़ा सकती है. इस बीच प्रतिष्ठित पत्रिका Lancet ने दूसरे मरीजों को खबरदार किया है. लैंसेट की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जब तक जरूरी न हो सर्जरी न कराएं. जहां तो हो सके उसे टालें. 

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लैसेंट की स्टडी में पाया गया कि कोरोना इंफेक्शन के साथ सर्जरी कराने वाले मरीजों का बचना मुश्किल हो रहा है. स्टडी के मुताबिक 28 प्रतिशत लोग सर्जरी के 30 दिन के भीतर मौत के शिकार हो गए. इन 28 प्रतिशत का आंकलन करने पर पता चला है कि इनमें से 80 प्रतिशत को सांस लेने में परेशानी यानि रेस्पिरेटरी फेलयोर हो गया था.

24 देशों के 235 अस्पतालों में की गई स्टडी

इस स्‍टडी में ऐसे मरीजों को शामिल किया गया जिन्हें सर्जरी से 7 दिन पहले या सर्जरी के 30 दिन बाद कोरोना प़ॉजिटिव होने की जानकारी मिली.

इसमें सर्जरी के 30 दिन के अंदर कितनी मौतें हुईं इसका आंकलन किया गया.

1 जनवरी से 31 मार्च 2020 के बीच सर्जरी कराने वाले 1128 मरीजों पर स्टडी हुई.

इनमें से 835 यानी 74 प्रतिशत को अचानक सर्जरी की ज़रूरत पड़ी थी जबकि 280 मरीज यानी 25 प्रतिशत की सर्जरी पहले से प्लान थी.

294 यानी 26 प्रतिशत मरीजों को सर्जरी के बाद कोरोना की जानकारी हुई थी 

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कुल 1128 मरीजों में से 268 मरीजों यानि 24 प्रतिशत की मौत सर्जरी के 30 दिन के भीतर ही हो गई थी.

577 यानि 51 प्रतिशत को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा.

इन 577 में से 219 यानि 38 प्रतिशत मरीजों को बचाया नहीं जा सका.  

कुल मौतों को देखा जाए तो 268 में से 219 मौतों यानि 82 प्रतिशत की वजह सांस से जुड़ी परेशानी रही.

इस स्टडी से जो नतीजे निकाले गए हें वे ध्यान देने वाले हैं.

सर्जरी के बाद आधे से ज्यादा लोगों को सांस की बीमारियां हुई जो जानलेवा साबित हुई.

गैर जरूरी सर्जरी टाली जानी चाहिए.

70 साल से ऊपर के पुरुषों को खासतौर पर कोरोना दौर में सर्जरी से बचना चाहिए.