पाकिस्तान में 'गरीब' होंगे 40 लाख लोग! इस एक वजह से छिन जाएगी 10 लाख नौकरियां
नवंबर 2013 के बाद पाकिस्तान में मुद्रास्फीति (महंगाई) सबसे अधिक 9.14 फीसदी पर पहुंच गई है.
पाकिस्तान का हाल बुरा है. अर्थव्यवस्था पिछड़ रही है. महंगाई रिकॉर्ड तोड़ रही है. खाने-पीने की चीजों से लेकर पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान के लिए इस वक्त हालात और बदतर हो रहे हैं. नवंबर 2013 के बाद पाकिस्तान में मुद्रास्फीति (महंगाई) सबसे अधिक 9.14 फीसदी पर पहुंच गई है. फरवरी तक यह आंकड़ा 8.21 फीसदी पर था. पाकिस्तान अपनी माली हालत सुधारने के लिए लगातार कर्ज मांग रहा है. पिछले साल पाकिस्तान में नई सरकार बनी थी. तब से लगातार कर्ज की मांग की जा रही है.
'गरीब' होंगे 40 लाख लोग, छिनेगा रोजगार
पाकिस्तान ने इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) से एक बार फिर कर्ज की मांग की है. 1980 से अब तक पाकिस्तान करीब 12 बार IMF से कर्ज ले चुका है. लेकिन, कर्ज मिलने तक हालात में सुधार लाना मुमकिन नहीं लग रहा है. दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने से हालात और बिगड़ सकते हैं. नतीजतन गरीबी रेखा में रहने वालों की संख्या में 40 लाख का और इजाफा देखने को मिल सकता है. वहीं, 10 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं.
चरमरा जाएगी अर्थव्यवस्था
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान का चालू खाता घाटा पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ रहा है. पाकिस्तान के पास इसे रोकने के लिए कर्ज लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. यही वजह है कि पाकिस्तान ने IMF से 13वें बेलआउट पैकेज की मांग की है. जब तक इमरान सरकार को कर्ज नहीं मिलता, उसके पास दो ही विकल्प बचते हैं. पहला या तो वह देश की जनता पर बोझ बढ़ाया जाए और दूसरा भुगतान संतुलन की समस्या से ऐसे ही जूझता रहे. लेकिन, इससे अर्थव्यवस्था के पूरी तरह से चरमराने की आशंका है.
नेपाल और मालदीव से भी पिछड़ेगा पाकिस्तान
गुरुवार को जारी हुई यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की आर्थिक ग्रोथ साल 2019 में पड़ोसी मुल्कों से काफी पीछे जाएगी. 2019 में पाकिस्तान की आर्थिक रफ्तार 4.2 फीसदी और साल 2020 में 4 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 के दौरान भारत की आर्थिक ग्रोथ दर 7.5 फीसदी, बांग्लादेश की 7.3 फीसदी, मालदीव और नेपाल की 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. इस लिहाज से पाकिस्तान की आर्थिक ग्रोथ सबसे निचले पायदान पर रहेगी.
6 रुपए महंगा हुआ पेट्रोल, बढ़ेंगी बिजली कीमतें
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में इमरान सरकार ने पेट्रोल के दामों में बड़ा इजाफा किया है. एक साथ पेट्रोल की कीमतें 6 रुपए तक बढ़ा दी गई हैं. नई दरों के मुताबिक, अब पाकिस्तान में एक लीटर पेट्रोल 98.88 पाकिस्तानी रुपए में बिक रहा है. वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तानी सरकार ने एक और चेतावनी जारी की है. इमरान सरकार ने कहा है कि आने वाले महीनों में बिजली और गैस की कीमतों में भी इजाफा किया जाएगा.
महंगाई का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर?
महंगाई दर में तेजी से इजाफा होना अच्छा संकेत नहीं है. महंगाई का सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. अगर महंगाई दर बढ़ती है तो बाजार में मौजूद वस्तुओं की कीमतें खुद बढ़ जाती है और लोगों की खरीदने की क्षमता में कमी आती है. वहीं, महंगाई दर घटने पर इसका उलट देखने को मिलता है. बाजार में वस्तुओं के दाम घटते हैं और लोगों की खरीदने की क्षमता बढ़ती है. महंगाई के बढ़ने और घटने का असर सरकार की नीतियों पर भी पड़ता है. किसी भी देश का सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में बदलाव के लिए महंगाई के आधार पर फैसला लेता है.
आयात करने के लिए भी पैसा नहीं
पाकिस्तान के पास आयात करने के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं है. पाकिस्तान का विदेशी पूंजी भंड़ार फिलहाल, 8.5 अरब डॉलर का है. लेकिन, यह दो महीने के आयात के लिए भी काफी नहीं है. ऐसे हालात में पाकिस्तान दूसरे देशों से आने वाले जरूरी सामान को मजबूरन खरीदना बंद कर सकता है. नवंबर 2013 के बाद से मार्च 2019 में पाकिस्तान में महंगाई सबसे अधिक है. खाने-पीने की चीजों के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई है. पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने जून में खत्म हो रही 12 महीने की अवधि के दौरान जीडीपी विकास दर 3.5 से 4 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया है, जो कि सरकार के अनुमान 6.2 फीसदी की तुलना में काफी कम है.
एडीबी बैंक ने भी दिए संकेत
दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि महंगाई के कारण लोगों के लिए जरूरी चीजें खरीदने में मुश्किल आ जाएगी. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के संकेत दिए हैं. रिपोर्ट में आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान की जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2018 में 5.2 प्रतिशत से गिरकर 2019 में 3.9 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है. पाकिस्तान की विस्तारवादी राजकोषीय नीति ने बजट और चालू खाते के घाटे को व्यापक रूप से बढ़ाया और विदेशी मुद्रा का भारी नुकसान किया है.