किसान ट्रैक्टर भी लोन पर खरीदते हैं.
ट्रैक्टर की किश्तें चुकाना कठिन होता है क्योंकि किसान की आय स्थिर नहीं रहती.
मौसम और मंडी भाव के कारण लोन चुकाना मुश्किल हो जाता है.
हालांकि बड़ी किश्त बनवाने से लोन की अवधि कम और ब्याज भी कम लगता है.
छोटी किश्तें बनवाने पर लोन की अवधि बढ़ती है और ब्याज का बोझ भी ज्यादा होता है.
ज्यादा डाउन पेमेंट करने से लोन की राशि कम होती है, जिससे किश्तें और ब्याज भी कम होते हैं.
स्टेप emi योजना किसानों के लिए बेस्ट है, जिससे सीजन के हिसाब से किश्तें बढ़ा या घटा सकते हैं.
मौसम और आय के हिसाब से स्टेपअप ईएमआई में किश्तें हल्की या भारी हो सकती हैं.
किसान सरकारी सब्सिडी के जरिए ट्रैक्टर पर छूट ले सकते हैं.
ट्रैक्टर लोन पर सरकारी स्कीम का फायदा उठाकर किसान पैसे बचा सकते हैं.
रिफाइनेंस का विकल्प भी है, जिससे लोन का ब्याज कम करने के लिए नया लोन लिया जा सकता है.
(नोट: खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है)
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