देश भर में दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानते हैं.
लगभग पूरे उत्तर भारत में दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का पुतला जलाते हैं.
ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में दशहरे पर रावण दहन नहीं होता है.
बिसरख गांव में रामलीला का आयोजन भी नहीं होता है.
गांव के लोग मानते हैं कि बिसरख रावण की जन्मस्थली है, इसलिए रावण दहन नहीं होता.
लोगों का मानना है कि यदि रावण का पुतला जलाया तो उसके साथ अन्याय होगा.
मान्यता है कि एक बार किसी ने रावण का पुतला जलाया था,जिसके बाद उसका सर्वनाश हो गया था.
बिसरख गांव में रावण का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है, जिसमें अष्टकोणीय शिवलिंग है.
यह शिवलिंग रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा द्वारा स्थापित किया गया था.
रावण और उनके भाई कुबेर इसी शिवलिंग की पूजा करते थे.
लोग दूर-दूर से भगवान शिव और रावण से वरदान मांगने के लिए इस मंदिर में आते हैं, और उनकी मन्नतें पूरी होती हैं.
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