म्यूचुअल फंड में निवेश ₹500 से शुरू होता है, जबकि PMS में न्यूनतम ₹50 लाख जरूरी है.
म्यूचुअल फंड में निवेशकों का पैसा साझा पोर्टफोलियो में होता है, जबकि PMS में निवेशक का खुद का डीमैट खाता होता है.
म्यूचुअल फंड में जोखिम कम और विविधता अधिक है, जबकि PMS में उच्च जोखिम और संकेंद्रित निवेश होते हैं.
म्यूचुअल फंड में रिटर्न स्थिर हो सकता है, जबकि PMS में उच्च जोखिम के साथ उच्च रिटर्न की संभावना होती .
म्यूचुअल फंड का Expense Ratios करीब 1% से 2.25% तक होता है, जबकि PMS में 2.5% तक प्रबंधन शुल्क और 20% तक प्रदर्शन शुल्क लिया जाता है.
म्यूचुअल फंड में किसी भी समय यूनिट खरीदी या बेची जा सकती है, जबकि PMS में कम लिक्विडिटी और लॉक-इन पीरियड होता है.
म्यूचुअल फंड में दैनिक NAV और पोर्टफोलियो होल्डिंग्स का खुलासा होता है, जबकि PMS में मासिक रिपोर्ट मिलती है.
दोनों ही निवेश विकल्प SEBI द्वारा रेग्युलेट होते हैं, लेकिन म्यूचुअल फंड में ज्यादा पारदर्शिता होती है.
म्यूचुअल फंड अधिक किफायती होते हैं और छोटे निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं.
छोटे निवेशक म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं, जबकि उच्च पूंजी वाले निवेशक PMS को प्राथमिकता दे सकते हैं.
(नोट:खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है)
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