हर कोई डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से टैक्स को पे करता है.
टैक्स को पे आय के अनुसार करते हैं, कुछ ज्यादा तो कुछ कम टैक्स चुकाते .
टैक्स की अलग-अलग कैटेगरी को समझना कई बार मुश्किल हो सकता है.
ग्रॉस इनकम की गणना सबसे पहले करें, जिसमें सैलरी, बोनस, और अन्य आय शामिल हो.
सैलरी के कुछ हिस्सों पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है, जैसे HRA, LTA, और स्टैंडर्ड डिडक्शन.
ग्रॉस इनकम से छूट वाले हिस्सों को घटाकर नेट इनकम निकाली जाती है.
टैक्स कटौती (Tax Deduction) का लाभ धारा 80C, 80D आदि के तहत लिया जा सकता है.
धारा 80C में पीएफ, बीमा प्रीमियम, और अन्य निवेशों पर कटौती मिलती है.
होम लोन और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए धारा 80D के तहत छूट ली जा सकती है.
नई टैक्स प्रणाली में ₹7 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है.
पुरानी टैक्स प्रणाली के तहत ₹5 लाख तक की आय पर टैक्स छूट है.
टैक्स स्लैब के आधार पर अपनी टैक्स देयता का पता लगाएं, जैसे 10%, 20%, या 30%.
टैक्स रिटर्न (ITR) भरने से अतिरिक्त टैक्स कटौती का रिफंड लिया जा सकता है.
टैक्स रिफंड प्रोसेस के बाद आपका कटा हुआ पैसा आपके अकाउंट में आ जाता है.
टैक्स कैलकुलेशन को समझकर टैक्स देयता को कम करने की योजना बनाएं.
(नोट: खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है)
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