नए फाइनेंशियल ईयर में सरकार कितना खर्च करने वाली है? इसका पूरा लेखा-जोखा बजट में पेश किया जाता है
आम जनता से लेकर सैलरीड क्लास, किसान और हर वर्ग के नागरिक और सेक्टर्स के लिए अहम घोषणाएं होती हैं
हर किसी को आम बजट से बड़ी उम्मीदें होती है लेकिन जरूरी नहीं कि हमेशा बजट से देश को फायदा ही हो
जी हां, देश में एक ऐसा बजट भी पेश किया जा चुका है जिसमें कमाई से ज्यादा खर्चा बैठ गया था
ये बात है 1973-74 के बजट की जब कांग्रेस की सरकार ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उपस्थिति में 'ब्लैक बजट' पेश किया था
ये आर्थिक संकट का दौर था क्योंकि 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था
लंबे वक्त तक मानसून नहीं आया और देश सूखे का सामना कर रहा था. अन्न-जल की कमी के कारण खर्चे तेजी से बढ़ रहे थे
देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई जिसके कारण तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत राव बी चव्हाण को 'घाटे का बजट' पेश करना पड़ा
देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई जिसके कारण तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत राव बी चव्हाण को 'घाटे का बजट' पेश करना पड़ा
इस साल के बजट की बात करें तो लोकसभा चुनावों के कारण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सिर्फ वोट ऑन अकाउंट पेश करेंगी
ये ऐसा बजट जिसमें एक निश्चित अवधि के लिए खर्च का हिसाब-किताब दिया जाएगा. कोई बड़ी घोषणा नहीं होगी
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