आप आए दिन कई स्टार्टअप की खबरें सुनते होंगे, तो पता चलता होगा कि इनमें से बहुत सारे स्टार्टअप नुकसान में हैं. ऐसे में एक सवाल उठता है कि इनमें निवेशक पैसा क्यों लगाते हैं.
स्टार्टअप का आइडिया बहुत ही यूनीक होता है, तो हर स्टार्टअप चाहता है कि उसे कोई दूसरा चुरा ले, उससे पहले ही पूरे मार्केट पर कब्जा कर लिया जाए, वरना कॉम्पटीशन आ जाएगा.
ऐसे में अपना बिजनेस तेजी से बढ़ाने के लिए स्टार्टअप खूब सारा पैसा खर्च करते हैं, जिसके चलते वह मुनाफा नहीं कमा पाते और नुकसान उठाते हैं. यह पैसे फंडिंग राउंड से जुटाए जाते हैं.
निवेशकों को इन स्टार्टअप्स का आइडिया इतना पसंद आता है कि उन्हें भविष्य में उस बिजनेस का स्कोप दिखने लगता है. इसी के चलते निवेशक नुकसान वाले स्टार्टअप में भी पैसे लगा देते हैं.
निवेशकों को ये समझ आ जाता है कि भले ही स्टार्टअप को तगड़ा मुनाफा हो या ना हो, लेकिन वह स्टार्टअप तेजी से मार्केट पर कब्जा करने की ताकत रखता है. यानी वह भविष्य में मुनाफा देगा.
निवेशकों को रिटर्न मिलता है स्टार्टअप की वैल्युएशन बढ़ने पर अपनी हिस्सेदारी बेचकर. कुछ निवेशक शुरुआती चरण में पैसे लगाते हैं और फिर किसी बड़े निवेशक को अपनी हिस्सेदारी बेच देते हैं.
वहीं कई निवेशक ऐसे होते हैं जो स्टार्टअप में ढेर सारा पैसा लगाकर उसके बड़े होने और आईपीओ आने का इंतजार करते हैं. आईपीओ में वह अपनी हिस्सेदारी बेचकर मुनाफा कमाते हैं.
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