आप आए दिन पोंजी स्कीम के बारे में सुनते रहते होंगे. सहारा, शारधा, स्पीक एशिया समेत कई मामलों में पोंजी स्कीम का ही इस्तेमाल किया गया और लाखों लोगों के साथ फ्रॉड हुआ.
ऐसे फ्रॉड का नाम पोंजी स्कीम उस शख्स के नाम पर पड़ा, जिसने पहली बार इसे अंजाम दिया था. इस शख्स का नाम था चार्ल्स पोंजी, जिसे पोंजी स्कीम का 'बाप' भी कहा जाता है.
इस तरह की स्कीम में एक मल्टी लेवल मार्केटिंग का पैटर्न अपनाया जाता है, जिसके चलते इससे जुड़ने वालों लोगों से एक पिरामिड जैसी संरचना बन जाती है. इसे पिरामिड स्कैम भी कहा जाता है.
इसमें लोगों से किसी बिजनेस के नाम पर पैसे लिए जाते हैं और फिर उन्हीं पैसों को लोगों के बीच घुमाया जाता है. इस तरह जो शुरू में इससे जुड़ते हैं, उन्हें फायदा होता है, लेकिन बाद वालों के पैसे मर जाते हैं.
उदाहरण के लिए पोंजी स्कीम में चार्ल्स पोंजी ने लोगों से कहा कि वह अपने पैसे उसके बिजनेस में लगाएं. चार्ल्स ने लोगों को तगड़ा रिटर्न देने का वादा किया, जिसके चलते लोग पैसे लगाने लगे.
शुरुआत में तो लोगों को रिटर्न मिले भी, क्योंकि जो नया निवेशक पैसे देता, वही पैसे चार्ल्स घुमाकर वापस पुराने निवेशकों को रिटर्न के रूप में दे देता.
यह सब इसी तरह से चलता रहता है और जब पोल खुलती है तो पिरामिड में सबसे नीचे के लोगों के पैसे मारे जाते हैं. चार्ल्स पोंजी के मामले में भी ऐसा ही हुआ था.
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