किसी कंपनी द्वारा अपने मौजूदा शेयरधारकों को मुफ्त में दिए गए एक्सट्रा शेयरों को बोनस शेयर कहते हैं.
जब कंपनी मुनाफा कमाने के बाद भी लाभ नहीं दे पाती, तो वह बोनस शेयर जारी करती है.
इसे "बोनस इश्यू" भी कहते हैं, जो कंपनी के शेयरधारकों के लिए एक प्रकार का रिवॉर्ड है.
बोनस शेयर के बदले निवेशकों को कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ता.
इससे निवेशक के शेयरों की संख्या बढ़ती है व उसे फ्यूचर में शेयर की कीमत बढ़ने से फायदा होता है.
मानें अगर 1:2 का बोनस इश्यू है,तो हर 2 शेयरों पर 1 बोनस शेयर मिलेगा.
निवेशक जो एक्स-डेट और रिकॉर्ड डेट से पहले शेयर खरीदते हैं, बोनस शेयर पाने के पात्र होते हैं.
बोनस शेयर प्राप्त करते समय निवेशकों को टैक्स नहीं चुकाना पड़ता.
यह उन शेयरधारकों के लिए फायदेमंद होता है, जो लंबी अवधि तक निवेश करना चाहते हैं.
बोनस शेयर भविष्य में स्टॉक की कीमत बढ़ने पर निवेशकों के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान करते हैं.
बोनस शेयर को कंपनियां डिविडेंड के ऑप्शन के रूप में मानती हैं.
बोनस शेयर निवेशक के शेयरों की संख्या बढ़ाते हैं.
शेयर की कीमत बढ़ने पर निवेशक को बड़ा लाभ मिलता है.
बोनस शेयर को बेच भी सकते हैं,पर केवल तभी वो आपके डीमैट खाते में जमा हो जाएं.
बोनस शेयर और डिविडेंड, दोनों निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प हैं.
(नोट:खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है)
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