दिवाली का पर्व आ गया है और सभी लोग घरों की सफाई में जुटे हैं.
शहरी लोगों से अलग ग्रामीण किसान पारंपरिक तरीकों से दिवाली मनाते हैं.
किसान इस दिन खेत और पशुओं की पूजा करते हैं.
किसान खेतों में और पशुओं के बांधने वाली जगह पर दीये जलाते हैं.
पशुओं को नहला-धुलाकर उन्हें पकवानों का प्रसाद खिलाया जाता है.
दिवाली के दिन किसान खेत-खलिहानों की पूजा करते हैं.
खेत के चारों कोनों में चार दीये जलाए जाते हैं, जिससे अन्न की पैदावार बढ़े.
दिवाली पर किसान पशुओं को सजाते हैं और उन्हें नए कपड़े पहनाते हैं.
पशुओं को दलिया, पशु आहार और गुड़ खिलाया जाता है.
दिवाली पर दीये जलाने से कीट-मकोड़ों का प्रकोप कम होता है.
किसान दिवाली पर गाय और उसके बछड़े की पूजा करते हैं.
दिवाली की शुरुआत गाय पूजा से होती है.
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