Worm Moon: भारत में आज की रात होलिका दहन के वक्त आसमान में Worm Moon दिखेगा. करीब 5 साल लोगों को ब्लू मून नजर आएगा और साथ ही 4 सुपरमून भी दिखेंगे. इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास से गुजरेगा. जब आसमान में वार्म मून नजर आता है तब उत्तरी गोलार्घ में सर्दियों का मौसम खत्म होता है.आज दिखने वाला चांद बेहद बड़ा और चमकीला दिखाई देता है. इसे वर्म मून के नाम से जाना जाता है. इस चांद को गर्मियां शुरू होने का प्रतीक माना जाता है. तो चलिए जानते हैं आखिर वर्म मून की खासियत क्या है, इसके साथ ही इसका क्या खास महत्व है. आज रात 7:42 बजे दिखेगा वर्म मून 18 वीं शताब्दी में मूल अमेरिकी जनजातियों द्वारा वसंत का स्वागत करने के लिए अपने सर्दियों के ठिकाने से निकलने वाले विभिन्न जीवों के संदर्भ में वर्म मून का नाम दिया गया, ओल्ड फार्मर के पंचांग के अनुसार आज रात चंद्रमा 7:42 बजे वर्म मून की तरह दिखेगा. वर्म मून मार्च में आने वाली पूर्णिमा को दिया गया नाम है. माना जाता है कि यह नाम दिया गया है क्योंकि यह उस समय के साथ मेल खाता है जब जमीन पिघलना शुरू होती है और उत्तरी अमेरिका में गर्म क्षेत्रों में केंचुए दिखाई देने लगते हैं. क्यों कहा जाता है Worm Moon  वसंत ऋतु में दिखने वाले फुल सुपरमून को साइंटिस्ट और लोग वर्म मून कहते हैं क्योंकि इस महीने गर्मी की शुरुआत की वजह से रेंगने  वाले कीड़े यानी कि वर्म धरती की सतह पर आ जाते हैं. दुनिया के अलग-अलग इलाकों में इसका अलग महत्व है. साल में सभी पूर्णिमाओं का नामकरण मौसम की घटनाओं के आधार पर किया जाता है. जब आसमान में वर्म मून नजर आता है तब उत्तरी गोलार्घ में सर्दियों का मौसम खत्म होता है. इसके अलावा पेड़ों में जमी छाल हटने लगती है और उस जगह नई छाल आने लगती है. इसे शुगर मून भी कहा जाता है. सुपरमून क्या है? ब्रिटिश वेबसाइट 'द सन' की रिपोर्ट के मुताबिक सुपरमून (Supermoon) एक दुर्लभ और प्रभावशाली चंद्र घटना है, जिसे आप साल में केवल कुछ ही बार देख सकते हैं. जब भी ऐसा होता है, तब आसमान में विशालकाय चंद्रमा के दर्शन होते हैं. खगोलविदों के अनुसार सुपरमून का बनना 2 अलग-अलग खगोलीय प्रभावों का संयोजन है.  जब सूर्य की पूरी रोशनी से नहाया हुआ पूरा चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिंदु के पास से गुजरता है तो वह हमें विशाल और भव्य रूप में दिखाई देता है. इसी घटना को हम पूर्ण चंद्रमा यानी सुपरमून कहते हैं. यह स्थिति तब आती है, जब चांदनी रोशनी से चमक रहा पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी के 224,865 मील के दायरे में आ जाता है. वर्म मून का महत्व ? दुनिया के अलग-अलग जगहों में इसका अलग-अलग महत्त्व है. वर्म मून का नाम 1930 से ज्यादा प्रचलन में तब आया जब माएन फार्मर्स अलमानैक में इसको लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी. इसके साथ ही उत्तरी गोलार्द्ध(Northern hemisphere) में इसी पूर्णिमा से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है. पूर्णिमा कब होती है ? जब सूरज और चांद पृथ्वी के विपरीत दिशाओं में होते हैं, तब पूर्णिमा होती है .  इस समय चांद के दिन वाला हिस्सा पृथ्वी से स्पष्ट नजर आता है, इसलिए धरती पर इसका पूरा प्रकाश पहुंचता है. दक्षिणी गोलार्द्ध(Southern hemisphere) में चांद देर से निकलता है, क्योंकि वहां दिन बड़ा होता है. दिलचस्प बात ये है कि इस साल 12 के बजाए 13 पूर्णिमा होगी, जिसमें अगस्त महीने में तो 2 सुपरमून की घटनाएं देखने को मिलेगी. सुपरमून आमतौर पर ज्यादा चमकदार और पृथ्वी के नजदीक होने की वजह से ज्यादा बड़े नजर आते हैं. वर्म मून को सुपरमून नहीं कहते हैं. अगले महीने दिखेगा Pink Moon अगली पूर्णिमा 5 अप्रैल को होगी. इसे पिंक मून या गुलाबी चांद भी कहते हैं. इसी समय अमेरिकी में गुलाबी वाइल्डफ्लावर खिलना शुरू होते हैं. इसे वहां ब्रेकिंग आइस मून, बडिंग मून और अवेकिंग मून भी कहते हैं. 5 मई को होगी Flower Moon इसके बाद वाली पूर्णिमा 5 मई को होगी, जो फ्लावर मून कहा जाता है. विश्व के कई हिस्सों में इस समय अनेक तरह के फूल खिलते हैं.