World Tuberculosis Day 2023: टीबी की बीमारी से जुड़ी वो गलतफहमियां, जिन्हें आज जरूर दूर कर लेना चाहिए
टीबी को लेकर तमाम लोगों के बीच गलतफहमियां हैं, जिसकी वजह से तमाम लोग इस बीमारी के नाम से ही घबरा जाते हैं. आज World Tuberculosis Day के मौके पर इन भ्रांतियों को दूर करना बहुत जरूरी है.
टीबी (TB) एक ऐसी बीमारी है, जो अगर किसी व्यक्ति को हो जाए, तो लोग उस व्यक्ति से दूरी बना लेते हैं क्योंकि ये एक संक्रामक बीमारी है. टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) के कारण से होती है. ज्यादातर टीबी फेफड़ों को प्रभावित करती है और संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली बारीक बूंदों से भी फैलती है. अगर समय रहते इस बीमारी का सही इलाज न किया जाए तो ये गंभीर रूप ले सकती है और जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है.
लेकिन टीबी को लेकर तमाम लोगों के बीच गलतफहमियां हैं, जिसकी वजह से लोग इस बीमारी के नाम से ही घबरा जाते हैं. हर साल लोगों को टीबी की घातक बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए 24 मार्च को विश्व तपेदिक दिवस (World Tuberculosis Day) मनाया जाता है. आज इस मौके पर आइए आपको बताते हैं टीबी से जुड़ी उन गलतफहमियों के बारे में जिन्हें दूर करना बहुत जरूरी है.
पहला मिथक टीबी फेफड़ों की बीमारी है
ज्यादातर लोगों को लगता है कि टीबी फेफड़ों की बीमारी है, लेकिन सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. निष्ठा सिंह की मानें तो टीबी एक ऐसी बीमारी है जो आपके शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है. हां लेकिन फेफड़ों के टीबी की बीमारी सबसे कॉमन है. यही वजह है कि दुनिया में करीब 70 फीसदी फेफड़ों की टीबी के मरीज सामने आते हैं. जब टीबी फेफड़ों को चपेट में लेती है तो इसे पल्मोनरी टीबी कहा जाता है और अन्य अंगों को प्रभावित करने पर इसे एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता है.
दूसरा मिथक हर टीबी संक्रामक होती है
हर तरह की टीबी संक्रामक नहीं होती है. सिर्फ पल्मोनरी टीबी यानी फेफड़ों वाली टीबी को संक्रामक माना जाता है. इसके बैक्टीरिया संक्रमित मरीज के खांसने या छींकने से हवा के जरिए दूसरे के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. लेकिन जो टीबी शरीर के अन्य अंगों में होती है, वो संक्रामक नहीं होती.
तीसरा मिथक टीबी पूरी तरह ठीक नहीं होती
आज भी तमाम लोगों को लगता है कि टीबी का कितना भी इलाज करवा लो, वो पूरी तरह से ठीक नहीं होती है. ऐसा बिल्कुल नहीं है. सही समय पर रोग का पता चल जाए तो टीबी की बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. इसका एक निश्चित समय का कोर्स होता है जिसे पूरा करना जरूरी होता है. इसमें जरा सी भी लापरवाही की गुंजाइश नहीं होती. ज्यादातर विशेषज्ञ इस बीमारी को ठीक करने के लिए छह से नौ महीने का इलाज करते हैं. गंभीर स्थिति में ये इलाज 18 से 24 महीने भी चल सकता है.