World Radio Day 2024 History Theme and Interesting Facts: आज के समय में बेशक आप स्‍मार्ट फोन के जरिए पल-पल की खबरें जान लेते हैं, लेकिन एक समय ऐसा था जब देश दुनिया से जुड़ी तमाम जानकारियों का एक बड़ा साधन रेडियो था. भारत में अगर रेडियो की बात करें तो यहां अंग्रेजों के जमाने में कांग्रेस रेडियो और आजाद हिंद रेडियो वगैरह के जरिए जन-जन तक सूचनाओं को पहुंचाने का काम किया गया. इतना ही नहीं, 15 अगस्‍त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तो इसकी घोषणा भी रेडियो पर ही की गई थी. उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक भाषण दिया था जो 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' के नाम से जाना जाता है.

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समय के साथ तमाम टीवी, लैपटॉप, इंटरनेट, मोबाइल फोन जैसे तमाम साधन आ गए. रेडियो की जगह एफएम रेडियो लोगों की जिंदगी का हिस्‍सा बन गया. आज बड़े शौक से लोग अपने फोन में या गाड़ियों में इसे सुनते हैं. हर साल 13 फरवरी को वर्ल्‍ड रेडियो डे (World Radio Day) के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी रोचक जानकारी.

रेडियो दिवस का इतिहास

देश-दुनिया में रेडियो के सदियों से चले आ रहे योगदान को देखते हुए साल 2010 में स्पेन रेडियो अकादमी ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद साल 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और आधिकारिक रूप से पहली बार 13 फरवरी 2012 को रेडियो दिवस मनाया गया. 

13 फरवरी को क्‍यों मनाते हैं विश्‍व रेडियो दिवस

13 फरवरी 1946 में संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई थी. इस वजह से अंतरराष्‍ट्रीय रूप से रेडियो दिवस मनाने के लिए 13 फरवरी की तारीख को चुना गया. इसे संयुक्त राष्ट्र रेडियो की वर्षगांठ के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. हर साल इस दिन की एक थीम निर्धारित होती है. साल 2024 की थीम है- 'Radio: A century of informing, entertaining and educating'.

रेडियो से जुड़ी रोचक जानकारी

- शुरुआत में रेडियो को वायरलेस टेलीग्राफी कहा जाता था. इसी से इसका नाम वायरलेस पड़ गया. वहीं रेडियो ट्रांसमिशन के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द 'ब्रॉडकास्टिंग' असल में कृषि से जुड़ा हुआ था जिसका मतलब था 'बीज को बिखेरना'.

- भारत में रेडियो ब्रॉडकास्ट की शुरुआत 1923 में हुई. 1930 में 'इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी' (IBC) दिवालिया हो गई और उसे बेचना पड़ा. इसके बाद 'इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस' को बनाया गया. 8 जून 1936 को 'इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस', 'ऑल इंडिया रेडियो' बन गया.

- 1947 में आकाशवाणी के पास छह रेडियो स्टेशन थे और उसकी पहुंच 11 प्रतिशत लोगों तक ही थी. आज आकाशवाणी के पास 223 रेडियो स्टेशन हैं और उसकी पहुंच 99.1 फ़ीसदी भारतीयों तक है.

- अगर आपने आकाशवाणी को सुना है, तो आप इसकी सिग्‍नेचर ट्यून से जरूर वाकिफ होंगे. इस अनूठी और असाधारण सिग्नेचर-ट्यून को चेकोस्लोवाकिया में जन्मे कंपोज़र वॉल्टर कॉफ़मैन ने बनाया था. तीस के दशक में वॉल्टर कॉफ़मैन मुम्बई आकाशवाणी के वेस्टर्न म्यूज़िक डिपार्टमेंट में कंपोज़र का काम कर रहे थे. उसी दौरान उन्होंने ये ट्यून बनाई थी. इस धुन में आपको तानपूरा, वायलिन और वायोला सुनाई देता है.

- टेलीविज़न के आने के बाद शहरों में रेडियो के श्रोता कम होते गए, लेकिन एफएम रेडियो ने एक बार फिर से रेडियो जगत में क्रांति लाने का काम किया और आज एफएम रेडियो भी लोगों की लाइफ का अहम हिस्‍सा है.