World Mental Health Day 2022: हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य (World Mental Health Day) दिवस मनाया जाता है. यूनिसेफ की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में तकरीबन 14 फीसदी बच्चे भी अवसाद में जी रहे हैं. छोटी-छोटी बातों पर जिद करना,  चिल्‍लाना, पैरेंट्स की बात न सुनना, गुस्‍सा करना या चिड़चिड़ाना जैसे लक्षण सामान्‍य नहीं होते. यदि बच्‍चा लगातार ऐसा व्‍यवहार करता है तो वह किसी मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हो रहा है. मेंटल डिसऑर्डर कोई बीमारी नहीं होती, लेकिन यह एक स्थिति है, जो बच्चों से लेकर बुजुर्ग लोगों को भी अपना शिकार बना लेती है. NCRB के अनुसार 2021 में 13,792 लोगों ने मानसिक बीमारियों से जूझते हुए आत्महत्या की.  World Mental Health Day का इतिहास संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 1992 में विश्व मानसिक सेहत दिवस (World Mental Health Day) मनाने की शुरुआत की थी. इस दिन को मनाए जाने की सलाह साल 1994 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव यूजीन ब्रांड ने दी थी.  इस दिन को मनाए जाने का मकसद लोगों को मानसिक सेहत के प्रति जागरूक करना है. आज के समय में तनाव और अन्य कारणों से लोगों में मानसिक समस्या बढ़ते जा रही है.  इसमें लोगों को समझ ही नहीं आता  कि वे मानसिक रोग के शिकार हैं. लोग मनोचिकित्सक के पास जाना पसंद नहीं करते हैं. इस साल की थीम इस साल की थीम 'मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाएं' (Make Mental Health and Well-Being for All a Global Priority)  है. इसे मनाने के लिए हर साल एक थीम चुना जाता है. वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे का महत्व हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है.  मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है.  इस दिन मेंटल हेल्थ पर काम करने वाले डॉक्टर, वैज्ञानिकों, साइकोलॉजिस्ट इसके महत्व को लोगों को जागरूक करते हैं. बच्चे भी हो रहे मेंटल डिसऑर्डर के शिकार कोरोना काल के बाद सबसे अधिक मानसिक स्वास्थ्य की समस्या किशोरों और युवाओं में बढ़ी है. कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर सर्फिंग की लत ने बच्चों को अनिद्रा का शिकार बना दिया है. वे माता-पिता की बात नहीं सुन रहे हैं और उन्हें गुस्सा आ रहा है. पेरेंट्स बच्चों को डॉक्टर और काउंसलर के पास लेकर जा रहे हैं. 10 में से 1 बच्चे को डिप्रेशन स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रन 2021 (The State of the World’s Children 2021) के रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 24 वर्ष के 14 प्रतिशत युवा डिप्रेशन के शिकार हैं. जापान और इथोपिया जैसे देशों में जहां हर 10 में से 1 बच्चे को डिप्रेशन है तो वहीं भारत में हर 7 में से एक बच्चा डिप्रेशन का शिकार है. 21 देशों के औसत के हिसाब से हर पांच में से एक बच्चे को डिप्रेशन है. मानसिक बीमारी के लक्षण

  • अक्सर दुखी या उदास महसूस करना( sad feeling)
  • एकाग्रता की कमी( less meditation)
  • ज्यादा सोचना (Overthinking)
  • एंग्जायटी और घबराहट (Anxiety)
  • खाने या सोने के पैटर्न में बदलाव (changes in eating or sleeping patterns)
  • ज्यादा चिंता करना (excessive anxieties)
  • लंबे समय तक अवसाद और उदासीनता (prolonged depression and apathy)
  • ज्यादा गुस्सा करना या हिंसक व्यवहार करना (excessive anger or violent behavior)
  • आत्महत्या के बारे में सोचना या खुद को नुकसान पहुंचाना (thinking or talking about suicide)
  • बहुत ज्यादा मूड स्विंग होना (extreme mood swings)
  • शराब या ड्रग्स लेना

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मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां

1. एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorders)

  • घबराहट की समस्या (Panic Disorder)
  • फोबिया (Phobias)
  • भीड़ से डर लगना (Agoraphobia)
  • सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर (Social Anxiety Disorder)
  • अलगाव की चिंता (Separation Anxiety Disorder)

2. मूड डिसऑर्डर  (Mood disorders)

  • मेजर डिप्रेशन (Major depression)
  • बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder)
  • मौसमी भावनात्मक विकार (Seasonal affective disorder )

3. सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia disorders) मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपाय

  • पॉजिटिव सोचें और मिलनसार बने
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें
  • दूसरों की मदद करें
  • पर्याप्त नींद लें और समय पर सोएं और समय से जागें
  • हेल्दी डाइट लें
  • शराब, धूम्रपान और ड्रग्स से बचें
  • तनाव ज्यादा न लें
  • बहुत ज्यादा सोचना बंद करें
  • एक्सरसाइज और योग करें

बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण

  • लगातार बच्चों का उदास होना
  • लोगों से बात नहीं करना
  • अकेले में रहना
  • किसी काम में मन नहीं लगना
  • पसंदीदा चीजों से दूर रहना
  • भूख कम या अधिक लगना
  • हमेशा नेगेटिव सोचना
  • कम या ज्यादा सोना
  • चिड़चिड़ापन या गुस्सा
  • खेल कूद से दूर रहना

बच्चों में डिप्रेशन होने के कारण

  • स्‍कूल में बच्चों को दूसरे बच्चों का तंग करना
  • पेरेंटेस के पास बच्चों का समय न होना
  • बच्चे के आत्‍म-सम्‍मान को चोट लगना
  • परिवारिक समस्या
  • पढ़ाई का अधिक प्रेशर होना

इन बातों का रखें ध्यान

  • छोटे बच्चों को स्मार्टफोन ना दें
  • बच्चों को आउटडोर गेम्स के लिए ले जाएं
  • सोने से आधे घंटे पहले मोबाइल से दूर हो जाएं
  • ऐसे बच्चों की नियमित काउंसलिंग कराएं
  • बच्चों से रोज बात करने का समय निकाले
  • उनके साथ पिकनिक और शॉपिंग पर जाएं
  • दिन में एक समय का खाना एक साथ बैठ कर खाएं

कई थेरेपी से भी होता है इलाज

  • बिहेवियरल थेरपी
  • कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरपी
  • साइकोडेनमिक थेरपी
  • डांस थेरपी और मूवमेंट थेरपी
  • आर्ट थेरपी
  • ड्रामा थेरपी
  • साइकोसेक्सुअल थेरपी
  • फेमिली और कपल थेरपी