World Hindi Day 2024: हिंदी भाषा के लिए प्रेम और इसकी अहमियत को बताती हैं ये फिल्में, मूवी लवर्स को जरूर देखनी चाहिए
आज विश्व हिंदी दिवस के मौके पर हम आपको बताएंगे ऐसी फिल्मों के बारे में जिसमें लोगों के दिल में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम को दिखाया गया है और इस भाषा की अहमियत को समझाने का प्रयास किया गया है.
Hindi Diwas Special Movies: समय के साथ हिंदी का प्रभाव भी दुनियाभर में बढ़ रहा है. आज के समय में हिंदी ऐसी भाषा बन चुकी है, जो बहुत तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पांच भाषाओं में हिंदी भी शामिल है. इसके अलावा सात भाषाएं ऐसी है जिनका इस्तेमाल वेबएड्रस बनाने में किया जाता है, उनमें से हिंदी एक है. आज दुनियाभर के तमाम विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है.
दुनियाभर में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार करने और लोगों को इस भाषा का महत्व समझने के लिए हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे ऐसी फिल्मों के बारे में जिसमें लोगों के दिल में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम को दिखाया गया है और इस भाषा की अहमियत को समझाने का प्रयास किया गया है.
चुपके-चुपके
धर्मेंन्द्र, शर्मीला टैगोर और अमिताभ बच्चन की फिल्म चुपके-चुपके तो आपको याद होगी. अगर नहीं देखी है, तो आज इस फिल्म को जरूर देखें. ये एक कॉमेडी फिल्म है जो साल 1975 में आयी थी. इस फिल्म में धर्मेंन्द्र की हिंदी सबका मन मोह लेती है. फिल्म में धर्मेंद्र शुद्ध हिंदी भाषा बोलते नजर आते हैं. धर्मेन्द्र की शुद्ध हिंदी वार्तालाप सुन हर कोई हंसी से गदगद हो जाता है.
गोलमाल
अमोल पालेकर और बिंदिया गोस्वामी की फिल्म गोलमाल एक ऐसी फिल्म है, जिसे चाहे कितनी बार देखो, मन नहीं भरता. अपने समय की ये सुपर-डुपर हिट फिल्म थी. साल 1979 में आयी ये फिल्म आपने भी कई बार देखी होगी और ठहाके भी लगाए होंगे. इस फिल्म में भी हिंदी भाषा के महत्व को समझाने का प्रयास किया गया है. फिल्म में अमोल पालेकर, बिंदिया गोस्वामी और उत्पल दत्त इस फिल्म में मुख्य रोल में हैं. इस फिल्म में उत्पल जी ने ठान लिया है कि वे अपने दफ्तर में उसी व्यक्ति को नौकरी देंगे जो हिंदी भाषा में अच्छी जानकारी रखता हो. नौकरी पाने के चक्कर में अमोल पालेकर को डबल रोल की भूमिका निभानी पड़ती है. आखिरकार अमोल को बात समझ आ ही जाती है कि हिंदी भाषा की भारत में क्या महत्ता है.
नमस्ते लंदन
2007 में आयी इस फिल्म ने लोगों के अंदर हिंदी और भारतीय सभ्यता के प्रति सोए हुए प्यार को फिर से जगाने का प्रयास किया था. फिल्म में अक्षय कुमार और कटरीना कैफ मुख्य रोल में थे. भारतीय सभ्यता के बारे में बताते हुए फिल्म के डायलॉग्स इतने वायरल हुए थे कि लोगों की जबान पर चढ़ गए थे. इन डायलॉग्स ने ऐसा जादू किया था कि लोग सिनेमा हॉल में खड़े होकर ताली बजाने लगते थे.
इंगलिश-विंगलिश
इंगलिश-विंगलिश फिल्म 2012 में आयी थी. इस फिल्म में ये मैसेज दिया गया है कि जिस अंग्रेजी को हमने अपने देश में इतना श्रेष्ठ बना दिया है कि इसके सामने हिंदी बोलने वाले हमें छोटे लगते हैं, वास्तव में ऐसा उन देशों में नहीं होता, जहां अंग्रेजी भाषा बोली जाती है. फिल्म में अंग्रेजी न आने के कारण शशि यानी श्रीदेवी को बार-बार नीचा दिखाया जाता है. उसकी दस-बारह वर्ष की लड़की पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में अपनी मां को ले जाने में शर्मिंदगी महसूस करती है. इसके कारण शशि को अंग्रेजी सीखने के लिए उसे विदेश जाना पड़ता है. वहां जाकर उसे पता चलता है कि अंग्रेजी को भारत में यूं ही हौवा बनाया गया है. विदेशों में अगर आप टूटी फूटी इंगलिश बोलते हैं तो लोग आपका मजाक नहीं बनाते बल्कि आपकी मदद करते हैं. इस फिल्म में ये भी बताने का प्रयास किया है कि हिंदी भाषा को विदेशी लोग बहुत उत्सुकता से सुनते हैं.
हिंदी मीडियम
इस फिल्म में इस बात के लिए चेताया गया है कि आज के समय में अंग्रेजी कल्चर किस तरह हावी हो रहा है और अंग्रेजी समय के साथ हिंदी की कितनी बड़ी प्रतिद्वंदी बन गई है. फिल्म में इरफान खान ने राज बत्रा का रोल निभाया है, जो अमीर होने के बावजूद अच्छे से अंग्रेजी भाषा नहीं बोल पाता, इसलिए वो अपनी बेटी को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाना चाहता है. ये फिल्म साल 2017 में आई थी, जो लोगों को ये समझाती है कि अगर आपने हिंदी भाषा की कद्र नहीं की, तो दूसरी भाषाएं इस पर हावी हो जाएंगी. इस फिल्म को देखकर आप समझ पाएंगे कि क्यों हिंदी दिवस मनाना जरूरी है.