World Alzheimer's Day 2023 History and Significance: भूलना आजकल के समय में सामान्‍य समस्‍या है. दिनभर में एक साथ हम सब इतने सारे कामों में व्‍यस्‍त रहते हैं कि कई छोटी-छोटी बातें भूल जाते हैं. लेकिन अगर कोई शख्‍स अपने परिवारीजनों को ही भूल जाए तो क्‍या होगा? ये कल्‍पना ही कितनी भयानक है, तो जरा सोचिए कि जब ये स्थिति किसी के सामने आती होगी तो उसका क्‍या होता होगा? दरअसल इस तरह के लक्षण ही अल्‍जाइमर के मरीजों के सामने आते हैं. अल्जाइमर (Alzheimer) एक न्यूरोलॉजिक डिसऑर्डर है. 

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इसमें दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ने लग जाती हैं और दिमाग अपना काम ठीक से नहीं कर पाता. अल्‍जाइमर से पीडि़त मरीजों को कोई भी डिसीजन लेने, चीजों को समझने और याद करने में काफी परेशानी होती है. स्थिति गंभीर होने पर व्‍यक्ति उन बातों को भी भूलने लगता है, जिन्‍हें वो सालों से करने का आदी है और धीरे धीरे दूसरों पर निर्भर होता चला जाता है. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्‍व अल्‍जाइमर दिवस (World Alzheimer's Day 2023) मनाया जाता है.

अल्‍जाइमर दिवस मनाने का उद्देश्‍य

अल्‍जाइमर के लक्षण आमतौर पर सामान्‍य से मालूम पड़ते हैं, इसलिए लोग इसको गंभीरता से नहीं लेते हैं. ज्‍यादातर लोग उम्र के साथ याद्दाश्‍त कमजोर होने को सामान्‍य बात मानते हैं. लेकिन ये एक मानसिक रोग है. समय रहते इलाज न मिलने पर धीरे-धीरे स्थिति गंभीर होने लगती है. पहले ये बीमारी ज्‍यादातर बुजुर्गों में देखने में मिलती थी, लेकिन तनाव और डिप्रेशन की वजह से अब ये कम उम्र के व्‍यक्ति को भी अपना शिकार बना रही है. हर साल 21 सितंबर को अल्‍जाइमर दिवस मनाने का उद्देश्य है कि लोगों को समय रहते इस बीमारी के प्रति जागरुक किया जा सके और इसके जोखिमों के बारे में बताया जा सके. 

वर्ल्‍ड अल्‍जाइमर डे का इतिहास और थीम

अल्‍जाइमर का इलाज पहली बार 1901 में एक जर्मन महिला का किया गया था. इस बीमारी का इलाज जर्मन मनोचिकित्‍सक डॉ. अलोइस अल्‍जाइमर ने किया था. उन्‍हीं के नाम पर इस बीमारी को अल्‍जाइमर कहा गया.  जब अल्‍जाइमर डिजीज ने 21 सितंबर 1994 को अपनी 10वीं एनिवर्सरी सेलिब्रेट की तब इस डे को विश्‍व स्‍तर पर हर साल मनाने की घोषणा की गई. साल 2012 में इसे पहली बार वैश्विक स्‍तर पर सेलिब्रेट किया गया. हर साल इस दिन अल्‍जाइमर रोग को लेकर जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं. हर साल इस दिन को एक थीम के साथ मनाया जाता है. साल 2023 की थीम है 'नेवर टू अर्ली, नेवर टू लेट'.

इन वजहों से हो सकती है बीमारी

  • अल्‍जाइमर को बुढ़ापे की बीमारी माना जाता है. बढ़ती उम्र इसका बड़ा कारण है. जिस तरह बुढ़ापे में शरीर के अन्‍य अंग कमजोर हो जाते हैं, उसी तरह दिमाग भी प्रभावित होता है.
  • कुछ रिसर्च बताती हैं कि पुरुषों के मुकाबले ये समस्‍या महिलाओं में ज्‍यादा देखने को मिलती है.
  • अगर आपके घर में इस रोग की फैमिली हिस्‍ट्री रही है, तो आपके लिए भी इस बीमारी का रिस्‍क बढ़ जाता है.
  • डाउन सिंड्रोम से जूझ रहे मरीजों में अल्‍जाइमर होने का रिस्‍क काफी ज्‍यादा होता है.
  • सिर पर लगी गंभीर चोट भी अल्‍जाइमर के खतरे को बढ़ा सकती है. हालांकि ऐसा हो, ये जरूरी नहीं.
  • आजकल का लाइफस्‍टाइल, तनाव, डिप्रेशन, अकेलापन, शराब का अत्‍यधिक सेवन और धूम्रपान की लत आदि भी इसकी वजह माने जाते हैं.

अल्‍जाइमर के लक्षण

– लोगों को पहचानने में परेशानी

– काम करने में परेशानी

– सोचने की शक्ति कम होना

– चीजों को सुलझा न पाना

– भूल जाना

– आंखों की रोशनी कमजोर होना

– मूड स्विंग्‍स

– डिप्रेशन

– थकान

– कमजोरी

बचाव के लिए क्‍या करें 

  • इस खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए शुरू से ही लाइफस्‍टाइल को लेकर अलर्ट रहें. खानपान बेहतर रखें.
  • फिजिकली फिट रखने के लिए योग, प्राणायाम और एक्‍सरसाइज करें.
  • शराब, स्‍मोकिंग जैसी आदतों को गुडबाय बोल दें.
  • म्‍यूजिक सुनें या वो काम करें जो आपको पसंद आएं. वो गेम्‍स खेलें जिसमें मेंटल एक्‍सरसाइज होती रहे.
  • उन लोगों के साथ समय गुजारें जिनके साथ आपको अच्‍छा लगे. अपने मन की बात को लोगों के साथ शेयर करें.

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