आज 1 दिसंबर को दुनियाभर में वर्ल्‍ड एड्स डे 2023 (World Aids Day 2023) मनाया जा रहा है. एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसका आज तक कोई ठोस इलाज नहीं है. इस बीमारी से बचाव को लेकर जागरुक करने और समाज में एड्स को लेकर फैले तमाम मिथक को दूर करने के लिए हर साल इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है. एड्स की बीमारी HIV के कारण होती है, इसलिए तमाम लोग HIV Postive और AIDS का मतलब एक ही मान लेते हैं. लेकिन इन दोनों के बीच बड़ा अंतर है. हर HIV Postive व्‍यक्ति को एड्स भी हो, ये जरूरी नहीं होता. आज विश्‍व एड्स दिवस के मौके पर जान लीजिए HIV और AIDS के बीच का अंतर.

जानिए HIV और AIDS का फर्क

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एचआईवी का पूरा नाम ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस है. ये वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम में सफेद रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है और इम्‍युनिटी को इतना कमजोर बना देता है कि शरीर मामूली चोट या बीमारियों से भी आसानी से उबर नहीं पाता. वहीं AIDS एक मेडिकल कंडीशन है जो HIV के कारण होती है. हर एचआईवी पॉजिटिव को एड्स भी हो ये जरूरी नहीं होता, लेकिन एड्स सिर्फ एचआईवी पॉजिटिव को ही होता है.

HIV की लेटर स्‍टेज है AIDS

दरअसल एड्स HIV की लेटर स्‍टेज है. एचआईवी से एक बार अगर व्‍यक्ति एक बार संक्रमित हो जाए तो रिकवर नहीं हो सकता. लेकिन आप दवाओं के जरिए इसे खतरनाक स्थिति तक पहुंचने से रोक सकते हैं. 

जब एचआईवी को सही समय पर इलाज न मिले और HIV गंभीर स्थिति में स्‍टेज 3 तक पहुंच जाए, तब ये एड्स का रूप ले लेता है. लेकिन अगर आप HIV को इलाज के जरिए कंट्रोल रखें, तो ये गंभीर स्थिति तक नहीं पहुंच पाता और व्‍यक्ति एड्स से ग्रसित नहीं होता है. ऐसे तमाम लोग हैं जो एचआईवी पॉजिटिव तो हैं, लेकिन उन्‍हें एड्स नहीं है.

एचआईवी संक्रमण के लक्षण

एचआईवी संक्रमण के लक्षण व्यक्ति में वायरस की चपेट में आने के दो से चार हफ्ते के भीतर ही लक्षण नजर आने लगते हैं. शुरुआती स्थिति में संक्रमित में बुखार, सिरदर्द, दाने या गले में खराश सहित इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण महसूस होते हैं. ऐसे में तेजी से वजन कम होना, बुखार, दस्‍त, खांसी, लिम्फ नोड्स में सूजन, कुछ तरह के कैंसर विकसित होना आदि तमाम लक्षण सामने आ सकते हैं.

संक्रमित रोग है एड्स

डब्ल्यूएचओ की मानें तो एड्स खुद में कोई बीमारी नहीं होता है, लेकिन इससे ग्रसित रोगी की इम्‍युनिटी इतनी कमजोर हो जाती है कि वो कई अन्‍य रोगों से आसानी से घिर जाता है और रिकवर नहीं कर पाता.  एड्स एचआईवी वायरस के कारण होता है जो संक्रमण के कारण शरीर में पहुंचता है. शरीर में एचआईवी संक्रमण के प्रसार के कई कारण हो सकते हैं जैसे असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित व्यक्ति के या गर्भावस्था खून के जरिए, इसके अलावा प्रसव के दौरान संक्रमित मां से बच्चे तक एचआईवी फैल सकता है. 

क्‍या है इलाज

एचआईवी वायरस का अब तक कोई ठोस इलाज नहीं है, लेकिन ऐसी तमाम दवाएं हैं जो इस वायरस को कमजोर बना सकती हैं. इन दवाओं के माध्‍यम से एचआईवी को नियंत्रित किया जा सकता है और इसकी जटिलताओं को कम करके इसे एड्स बनने से रोका जा सकता है. एचआईवी की दवाओं को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) कहा जाता है.

बचाव के तरीके

एचआईवी से बचने के लिए शारीरिक संबंध बनाते सावधानी बरतें. साफ और नई सुई को प्रयोग करें. अगर बीमारी के लक्षण नजर आएं तो विशेषज्ञ की सलाह से एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी का इस्‍तेमाल करें.