Women's Day 2023: क्या होता है स्त्रीधन? नहीं जानतीं तो आज जान लें क्योंकि ये आपके हक की बात है…
हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर यहां जानिए स्त्रीधन से जुड़ी वो बातें जो हर महिला के लिए जानना बहुत जरूरी है.
शादी एक ऐसा रिश्ता है जो दो लोगों की आपसी समझ से चलता है. लेकिन कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि रिश्ते को चला पाना मुश्किल हो जाता है और तलाक तक की नौबत आ जाती है. ऐसी स्थिति में जब महिला अपने ससुराल वालों से अपने गहने, साड़ी और शादी के दौरान या बाद में मिले तमाम गिफ्ट्स की मांग करती है, तो कई बार ससुराल वाले उन चीजों को देने से मना कर देते हैं क्योंकि उनको लगता है कि उनके या उनके रिश्तेदारों के दिए गए गिफ्ट, गहने और अन्य चीजें उनकी बहू की कैसे हो सकती हैं? अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो आप गलत हैं.
कानून के हिसाब से ये सभी चीजें स्त्रीधन माने जाते हैं. एक महिला को शादी से पहले मिले गिफ्ट, शादी के दौरान मिले उपहार, गहने, साड़ी और अन्य गिफ्ट और शादी के बाद भी जेवर या अन्य जो बहुमूल्य चीजें उपहार के तौर पर मिली हैं, चाहे वो ससुराल से मिली हों या मायके से, उन सभी को स्त्रीधन माना जाता है. उन चीजों पर उस महिला का ही अधिकार होता है. 8 मार्च को International Women's Day आने वाला है. इस मौके पर यहां जानिए अपने हक की वो बात, जो हर महिला लिए जानना बहुत जरूरी है.
स्त्रीधन को लेकर महिला के अधिकार
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 27 के तहत किसी भी महिला को स्त्रीधन को अपने पास रखने का पूरा अधिकार होता है. महिला चाहे तो अपने स्त्रीधन को अपनी मर्जी से किसी को दे सकती है या बेच सकती है. इस पर सिर्फ और सिर्फ उसका ही अधिकार होता है.
- यदि स्त्रीधन ससुराल में किसी व्यक्ति के पास रखा हैं तो रखने वाले को सिर्फ ट्रस्टी माना जाता है. जब भी महिला उन चीजों को मांगती है, तो इसे देने से मना नहीं किया जा सकता.
- अगर महिला का स्त्रीधन कोई जबरन अपने पास रख लेता है तो महिलाओं को ये पूरा अधिकार होता है कि वे उस व्यक्ति के विरुद्ध लीगल एक्शन ले सकें.
- अगर किसी कारण से महिला का वैवाहिक जीवन नहीं चल सके और उसे अपना ससुराल छोड़कर कहीं और रहना पड़े तो उसे अपना स्त्रीधन साथ ले जाने का पूरा अधिकार है. इस स्थिति में अगर उसे कोई रोकता है तो महिला इस मामले में कानून की मदद ले सकती है.
दहेज का हिस्सा नहीं होता स्त्रीधन
स्त्रीधन को दहेज नहीं माना जा सकता. ये दहेज से अलग होता है क्योंकि उपहार स्वरूप मिली चीजें किसी से मांगी नहीं जाती हैं. ये स्नेहपूर्वक दी जाती हैं. जबकि दहेज मांग कर लिया जाता है. यदि स्त्रीधन को ससुराल वालों या पति ने जबरन अपने कब्जे में रख लिया है तो महिला इसके लिए क्लेम कर सकती है. अगर पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस लगा है, तो उसके साथ में स्त्रीधन को लेकर अलग से केस दर्ज कराया जा सकता है.
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