Dual Flush in Toilets: भारत में पहले ज्यादातर घरों में इंडियन टॉयलेट (Indian Style Toilet) हुआ करते थे लेकिन समय के साथ-साथ अब तेजी से वेस्टर्न टॉयलेट (Western Style Toilet) का चलन बढ़ रहा है. अगर आपके घर में वेस्टर्न टॉयलेट नहीं भी है तो आपने अपने ऑफिस में, होटल में, रेस्टॉरेंट में या किसी दूसरी जगह वेस्टर्न टॉयलेट जरूर यूज किया होगा. और अगर आपने वेस्टर्न टॉयलेट यूज किया है तो आपने ये भी देखा होगा कि इसके फ्लश में दो बटन होते हैं- एक छोटा और एक बड़ा. लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया कि वेस्टर्न टॉयलेट के फ्लश में दो बटन क्यों होते हैं और उसमें भी एक छोटा और एक बड़ा? अगर आपके दिमाग में ये सवाल आया भी तो क्या आपने कभी इसकी वजह जानने की कोशिश की? चलिए आज हम आपको बताएंगे कि वेस्टर्न टॉयलेट के फ्लश में एक छोटा और एक बड़ा बटन क्यों दिया जाता है.

पानी की बचत को ध्यान में रखकर शुरू हुआ ड्यूअल फ्लश

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आपको बता दें कि पानी की बचत को ध्यान में रखकर वेस्टर्न टॉयलेट में ड्यूअल फ्लश का कॉन्सेप्ट शुरू किया गया था और ये आइडिया सबसे पहले अमेरिका के इंडस्ट्रियलिस्ट डिजाइनर विक्टर पापानेक के दिमाग में आया था. लेकिन ये जानने भी बहुत जरूरी है कि ड्यूअल फ्लश से पानी की बचत कैसे होती है? दरअसल, जब हम पॉटी के लिए टॉयलेट यूज करते हैं तो उसे फ्लश करने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है जबकि यूरिनल फ्लश करने के लिए कम पानी में ही काम चल जाता है. लेकिन ड्यूअल फ्लश के कॉन्सेप्ट से पहले यूरिनल के लिए भी उतना ही पानी वेस्ट होता था, जितना पॉटी के लिए वेस्ट होता है. इसी बात को ध्यान में रखकर वेस्टर्न टॉयलेट में ड्यूअल कॉन्सेप्ट की शुरुआत हुई.

कौन-सा बटन प्रेस करने से कितना पानी निकलता है

टॉयलेट फ्लश का बड़ा बटन पॉटी फ्लश करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. बड़े बटन को प्रेस करने से एक बार में करीब 6 से 9 लीटर पानी निकलता है. जबकि यूरिनल के बाद छोटे बटन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 3 से 4 लीटर पानी निकलता है. ये बात जानकर आपको हैरानी होगी कि फ्लश के बटन का सही इस्तेमाल करके एक साल में करीब 20 हजार लीटर पानी की बचत की जा सकती है. अगर आपको फ्लश के दो बटन के कॉन्सेप्ट के बारे में पहले जानकारी नहीं थी तो आगे से टॉयलेट यूज करने के बाद इस बात को हमेशा ध्यान में रखना ताकि पानी बचाने में आप अपना योगदान दे सकें.