Young Age में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले, क्या है बचाव का तरीका? एक्सपर्ट से जानें
आज के समय में कम उम्र पर वो समस्याएं देखने को मिलती हैं, जो कभी बुढ़ापे पर परेशान करती थीं. यंग ऐज पर हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं. अगर आप इस खतरे से खुद को बचाना चाहते हैं, तो एक्सपर्ट की सलाह जान लीजिए.
भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अगर आप हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, गड़बड़ लिपिड प्रोफ़ाइल, बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल, अधिक वजन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको अभी से अलर्ट होने की जरूरत है. ये सभी परेशानियां आपके लिए हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ाती हैं. ये कहना है हार्ट हॉस्पिटल के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. राजन ठाकुर का. डॉ. राजन कहते हैं कि आज के समय में 40 से 50 साल की उम्र में हार्ट अटैक के मामले देखने को मिलते हैं. इन सबका कारण हमारी खराब लाइफस्टाइल है. अगर समय रहते स्थिति को नहीं संभाला तो कम उम्र पर हार्ट से जुड़ी तमाम परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. जानिए कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से खुद को कैसे बचा सकते हैं.
सीने में दर्द हमेशा गैस की वजह से नहीं होता
डॉ. राजन ठाकुर कहते हैं, अक्सर लोगों को जब सीने में दर्द होता है, तो वो मान लेते हैं कि ये गैस की वजह से है. लेकिन ये सोच आपके लिए घातक साबित हो सकती है. अगर बार-बार सीने में दर्द की समस्या हो रही है, तो उसे गैस का कारण मानकर खुद से दवा न लें. अस्पताल जाकर डॉक्टर को दिखाएं. अगर अस्पताल नहीं जा सकते, तो कम-से-कम अपने फ़ैमिली डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा लें.
30 वर्ष से कम उम्र वाले ऐसे रखें खयाल
आपकी उम्र अगर 30 साल से कम है और सीने में दर्द है, तो पहले विशेषज्ञ से सलाह लेकर दवा लें. आराम न मिलने पर हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलकर कुछ शुरुआती हृदय रोग संबंधी जांच करा लें जैसे- ईसीजी, ट्रोपोनिन टेस्ट वगैरह. अगर इसकी रिपोर्ट ठीक है, तो फिर कोई चिंता वाली बात ही नहीं. वहीं, अगर गड़बड़ रिपोर्ट है, तो फिर डॉक्टर से सलाह लेकर सीटी एंजियोग्राफी करा लें. इससे दस मिनट में ही आपको रिज़ल्ट पता चल जाएगा.
40 वर्ष ज्यादा उम्र होने पर
अगर आपकी उम्र 40 साल से ज्यादा है तो समय-समय पर जरूरी जांचें कराते रहना चाहिए. ऐसे में अगर सीने में दर्द है, तो लापरवाही बिल्कुल न करें. विशेषज्ञ को दिखाएं और जो भी दवाएं निर्देशित की गई हैं, उन्हें समय से लें क्योंकि दवा रिस्क फ़ैक्टर को कंट्रोल करता है. इसके अलावा अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें. संयमित भोजन करें, अधिक नमक, फैटी फ़ूड, चीनी से परहेज़ करें. सप्ताह में कम-से-कम पांच दिन तो आधे घंटे का एक्सरसाइज़ जरूर करें. स्मोकिंग से पूरी तरह परहेज करें. रोजाना नाश्ते से पहले सेब, अमरूद जैसे फल खाएं.
ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं तो…
डॉ. राजन कहते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी होती है. खासतौर पर हार्ट स्पेशिएलिस्ट बहुत मुश्किल से मिलते हैं. ऐसी स्थिति में अगर किसी व्यक्ति को सीने में दर्द की शिकायत महसूस होती है, तो उन्हें पहले किसी अच्छे फिजिशियन से मिलना चाहिए. इसके अलावा ग्रामीण टेलीमेडिसिन का भी सहारा ले सकते हैं. भारत में धीरे-धीरे टेलीमेडिसिन का प्रचलन बढ़ रहा है. कोविड महामारी के दौरान तो टेलीमेडिसिन का दायरा और भी बढ़ा है.
इन लक्षणों को कभी न करें नजरअंदाज
चक्कर आना, सांस फूलना, बेहोश हो जाना भी गंभीर बीमारी के संकेत हो सकते हैं, इसलिए इन्हें कभी भी नजरअंदाज न करें. अक्सर देखा जाता है कि बुजुर्ग, महिलाओं या डायबिटिक मरीज़ों को चलते समय सांस फूलने की समस्या होती है, वो जल्दी थक जाते हैं. इन स्थितियों में भी आपको डॉक्टर की सलाह से मेडिकल चेकअप करा लेना चाहिए. ये हार्ट से जुड़ी समस्याओं के संकेत भी हो सकते हैं.
फॉलोअप जरूर कराएं
अगर आपको कोई बीमारी है जिसका इलाज चल रहा है, तो समय समय पर फॉलोअप लेते रहना बहुत जरूरी है ताकि वो बीमारी दोबारा न पनपे या उसकी जगह कोई और बीमारी न हो जाए. फॉलोअप से हमें ये भी पता चलता रहता है कि जो दवाएं हम खा रहे हैं, उससे बीमारी कितनी कंट्रोल हो रही है.
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