फाल्‍गुन मास की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. होली से पहले पड़ने वाली ये एकादशी आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) के नाम से भी मशहूर है क्‍योंकि इसमें आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. आमतौर पर एकादशी के सभी व्रत भगवान नारायण को समर्पित होते हैं. लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन नारायण के अलावा महादेव और माता पार्वती का विशेष पूजन किया जाता है और उन्‍हें अबीर-गुलाल भी समर्पित किया जाता है. कभी सोचा है कि ऐसा क्‍यों होता है? इस बार रंगभरी एकादशी 3 मार्च को है. इस मौके पर यहां जानिए एकादशी पर शिव-पार्वती पूजा के महत्‍व के बारे में-

ये है मान्‍यता

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कहा जाता है कि माता-पार्वती और महादेव का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था. विवाह के बाद फाल्‍गुन मास की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी के दिन महादेव माता पार्वती का गौना करवाया था. उस समय वे माता पार्वती के साथ काशी के रास्‍ते होते हुए कैलाश पर पहुंचे थे. उस समय बसंत का मौसम था और हर तरफ माहौल खुशनुमा था. ऐसे में महादेव के भक्तों ने माता पार्वती का स्वागत रंगों और गुलाल से किया था और उन पर रंग बिरंगे फूलों की वर्षा की थी. तब से ये दिन भक्‍तों के लिए खास हो गया. हर साल इस एकादशी के मौके पर नारायण के साथ महादेव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है और लोग उन्‍हें अबीर और गुलाल समर्पित करके उनके साथ होली खेलते हैं. इस कारण ही इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. 

काशी में होता है भव्‍य आयोजन

एकादशी के दिन काशी में भव्‍य आयोजन किया जाता है. इस दिन बाबा विश्वनाथ के मंदिर को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और हर्ष और उल्‍लास के साथ माता पार्वती का गौना कराया जाता है. इस दिन बाबा विश्‍वनाथ और माता पार्वती का भव्‍य डोला निकाला जाता है. बाबा विश्‍वनाथ, माता पार्वती के साथ नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. ऐसे में उनकी विशेष पूजा की जाती है और उन पर रंग-गुलाल और पुष्‍पों की वर्षा की जाती है.

त्‍योहार उठाने के लिए शुभ दिन

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र कहते हैं कि अगर हिंदू परिवार में किसी की मृत्‍यु हो जाए, तो किसी बड़े त्‍योहार के मौके पर शादीशुदा बेटी मिठाई लेकर त्‍योहार को उठाने के लिए जाती है. इसके बाद शोक के दिन खत्‍म हो जाते हैं और सारे त्‍योहार विधिवत मनाए जाते हैं. रंगभरी एकादशी को भी त्‍योहार उठाने के लिहाज से काफी शुभ दिन माना जाता है. अगर शादीशुदा बेटी होली के मौके पर त्‍योहार उठाने नहीं जा पा रही है, तो वो रंगभरी एकादशी के मौके पर त्‍योहार उठा सकती है.

 

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