जब भी पीले रंग की कोई बस आपके आसपास से गुजरती है तो उसे देखते ही समझ में आ जाता है कि ये किसी स्‍कूल की बस है क्‍योंकि भारत में ज्‍यादातर स्‍कूल बसों का रंग पीला होता है. लेकिन क्‍या आपने कभी ये सोचा कि आखिर स्‍कूल की बसों के लिए पीले रंग को ही क्‍यों चुना गया? ये यूं ही नहीं होता, इसके पीछे एक लॉजिक छिपा है जिसके बारे में ज्‍यादातर लोगों को जानकारी नहीं होती है. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में-

सबसे ज्‍यादा आकर्षित करने वाला रंग

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पीले रंग का लैटरल पेरीफेरल विजन (Lateral Peripheral Vision) लाल रंग की तुलना में लगभग सवा गुना ज्यादा होता है. इसका मतलब है कि जिसे किनारे या अगल-बगल कहीं से भी आसानी से देखा जा सके. साधारण शब्‍दों में समझें तो बाकी रंगों की तुलना में पीले रंग को किसी भी एंगल से आसानी से देखा जा सकता है. लैटरल पेरीफेरल विजन ज्‍यादा होने के कारण पीला रंग जल्‍दी से लोगों की नजर में आ जाता है. 

ये है स्‍कूल बस के पीले होने का मकसद

पीला रंग एक ऐसा रंग है जिसे ओस, बारिश और कोहरे में भी देखा जा सकता है. अगर ज्यादा रोशनी न हो तो भी ये रंग लाइट को रिफ्लेक्ट करता है. यही वजह है कि सभी स्‍कूल बसों का रंग पीला रखा जाता है. स्‍कूल बसों को पीले रंग से रंगने का मकसद है दुर्घटना का रिस्‍क कम करना. आकर्षण के कारण पीले रंग की बस को हाइवे या सड़क पर दूर से देखा जा सकता है, ऐसे में दुर्घटना की आशंका कम हो जाती है और बच्‍चों को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है.

VIBGYOR का लॉजिक भी समझना जरूरी

पीले रंग के आकर्षण को समझने के लिए आपको VIBGYOR को भी समझना चाहिए. VIBGYOR (Violet, Indigo, Blue, Green, Yellow, Orange, Red) 7 रंगों का गठजोड़ होता है. इसमें लाल रंग की वेवलेंथ सबसे ज्यादा होती है. वेवलेंथ यानी जितनी दूरी के बाद कोई तरंग अपने आप को पुनरावृत (Repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (Wavelength) कहते हैं. लाल रंग की वेवलेंथ सबसे ज्‍यादा होती है, इसलिए इसे काफी दूर से स्‍पष्‍ट देखा जा सकता है. यही कारण है कि लाल रंग का इस्‍तेमाल खतरे के निशान के तौर पर किया जाता है. लाल रंग के अलावा ऑरेंज और पीले रंग की वेवलेंथ सबसे ज्‍यादा होती है. लेकिन लाल रंग के बाद अगर कोई रंग सबसे ज्‍यादा आकर्षि‍त करता है, तो वो पीला रंग होता है. पीले रंग को काफी दूर से देखा जा सकता है.